NITI Aayog Meeting: नीति आयोग की बैठक में सीएम धामी ने उठाया ग्रीन बोनस का मुद्दा, क्या पूरी होंगी ये पांच मांग
NITI Aayog Meeting: नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग में एक बार फिर उत्तराखंड के लिए अलग पैकेज और रियायतों की मांग की गई है. जानिए क्यों सीएम पुष्कर सिंह धामी क्यों मांग रहे हैं ग्रीन बोनस
देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की आठवीं बैठक में 27 मई को आयोजित की गई. मीटिंग में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए. उन्होंने नीति आयोग की बैठक में केंद्र सरकार से ग्रीन बोनस की मांग की. सीएम धामी ने कहा उत्तराखंड का 70 फीसदी क्षेत्र वन, बुग्याल और ग्लेशियर के संरक्षण करके पूरे राष्ट्र को पर्यावरणीय सेवा देता है. महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान होने के लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं. वित्तीय संसाधनों के आवंटन एवं नीति निर्माण में उत्तराखंड के इस तथ्य को भी सम्मिलित किए जाने का अनुरोध किया. सीएम ने कहा कि राज्य के वित्तीय संसाधन बहुत सीमित है जिस कारण EAP और CSS पर हमारी निर्भरता है. केंद्र की योजनाओं पर बजट में कटौती से हमें नुकसान होता है.
सीएम ने केंद्र से की पांच बड़ी मांग
1. ऊर्जा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने कहा 25 मेगा वाट से कम क्षमता की परियोजनाओं के अनुमोदन और क्रियान्वयन का अधिकार राज्य सरकार को दिया जाए.इससे प्रदेश में छोटी-छोटी जल विद्युत परियोजनाएं शुरू की जा सकती हैं.
2. नदी जोड़ो परियोजना के लिए मुख्यमंत्री ने कहा विशेष वित्तीय सहायता एवं तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाए.
3. केंद्र पोषित अधिकांश योजनाएं वन साइज फिट ऑल के आधार पर बनाती है, जो राजू की अपनी विशिष्ट परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होती है.इसलिए उत्तराखंड जैसे पर्वती राज्यों के लिए अलग से केंद्र पोषित योजनाएं देने का प्रावधान होना चाहिए.
4.उत्तराखंड में लागू औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2017 के अंतर्गत प्राप्त प्रोत्साहन वर्ष 2022 में समाप्त हो चुका है, जबकि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में इसी प्रकार की औद्योगिक नीति वर्तमान में चल रही है.
5. मुख्यमंत्री ने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति को उत्तराखंड राज्य में भी आगामी 5 वर्षों के लिए विस्तारित किया जाए.
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दरअसल, पर्वतीय राज्यों का देश की जैवविविधता में बड़ा योगदान है.पर्यटन गतिविधियों से उन्हें राजस्व का लाभ तो होता है लेकिन इसका नुकसान वहां के पर्यावरण को काफी हो रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार को इन राज्यों को ग्रीन अनुदान देने पर विचार करना होगा.
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