लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ गुरुवार को मेधावी बच्चों के समक्ष मार्गदर्शक के रूप में सामने आए. उन्होंने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में परचम फहराने वाले मेधावियों का सम्मान किया और सीख दी कि रोल मॉडल बनना है तो जीवन में शॉर्टकट नहीं, चुनौतीपूर्ण रास्ता अपनाना है. चुनौतियां व्यक्ति को मजबूत बनाती हैं, शॉर्टकट का रास्ता पतन की ओर ले जाता है. शॉर्टकट से कभी ऊंचाइयों पर नहीं पहुंचा जा सकता, इसलिए चुनौतीपूर्ण रास्ते को स्वीकार करते हुए जीवन में सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करें. सैद्धांतिक व व्यावहारिक दोनों ज्ञान को जीवन का हिस्सा बनाकर आगे बढ़ें. सीएम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आगे बढ़ने का मौका देती है. हमारे संस्थान उसके साथ जुड़ें. अभी से तैयारी करें कि भविष्य को कैसे सजा व संवार सकते हैं और अन्य लोगों के लिए रोल मॉडल बन सकते हैं.  


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प्रतिभा परिवार की नहीं, समाज की होती है


सीएम ने कहा कि मेरिट सूची में जिन बच्चों का नाम है, उनके गांव व मोहल्ले के मार्ग को गौरवपथ के रूप में विकसित करने की व्यवस्था पहले से है, वह उसी रूप में बढ़ेगी. प्रदेश की सूची में जो टॉप टेन होंगे, उन्हें भी गौरवपथ से जोड़ेंगे. जिससे हर व्यक्ति उन पर गौरव की अनुभूति कर सके. प्रतिभा परिवार की नहीं, समाज की होती है. प्रतिभा को बढ़ाने में परिवार का सर्वाधिक योगदान होता है, लेकिन समाज के योगदान को विस्मृत नहीं करना चाहिए. जब समाज का योगदान साथ होता है तो प्रतिभा में निखार आता है. जब प्रतिभा का सम्मान समाज करता है तो समृद्धि को कोई रोक नहीं सकता है.


2017 के पहले कई जनपदों में व्यवसाय थे नकल के अड्डे


सीएम ने कहा कि 2017 से पहले यूपी में परीक्षाओं की शुचिता व पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगा था. नकल के अड्डे खुले हुए थे. कई जनपदों में यह व्यवसाय बन चुका था. शिक्षा की स्थिति अत्यंत खराब थी. कई जगह देखने को मिलता था कि भवन है तो बच्चे नहीं, बच्चे हैं तो शिक्षक नहीं. यदि तीनों की उपलब्धता है भी तो पठन-पाठन का माहौल नहीं. लोगों के मन में था कि जब नकल करके ही पास होना है तो क्लास क्यों करना है, लेकिन 2017 के बाद सरकार ने तय किया कि परीक्षा की शुचिता व पारदर्शिता हर हाल में होनी चाहिए. इसके परिणाम सामने आए. इसके पहले कितना भी मेधावी हो, यूपी के बाहर उसके सामने पहचान का संकट था. लोगों को लगता था कि यह नकल करके पास हुआ होगा, इसलिए उसे महत्व नहीं मिलता था. 2017 के बाद इसमें परिवर्तन आया. न केवल नकल को रोका, बल्कि शिक्षकों की भर्ती भी की. बेसिक शिक्षा में 1.26 लाख, माध्यमिक शिक्षा में 40 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई. गणित, विज्ञान व अंग्रेजी के शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके थे, जब तक नियुक्ति नहीं हुई थी,  तब तक मानदेय पर इन्हें रखकर शिक्षा की व्यवस्था की गई.


2017 से पहले परीक्षा व परिणाम में भी होता था अंतर
सीएम ने कहा कि दो वर्ष चुनौतीपूर्ण थे.दुनिया ने कोरोना को झेला है। इस दौरान भी समय से परीक्षा कराना और परिणाम आना बड़ी उपलब्धि है. 2017 से पहले परीक्षा व परिणाम में भी अंतर होता था. 3 महीने परीक्षा चलती थी, रिजल्ट आने में भी दो से ढाई महीने लगते थे. प्रवेश में भी 3 महीने लगते थे. मैंने विभागीय अधिकारियों से पूछा कि 3 महीने परीक्षा, 3 महीने रिजल्ट, 3 महीने प्रवेश और 3 महीने पर्व त्योहारों में व्यतीत हो जाते हैं तो क्लास कब चलती है. आप इसे एक महीना व 15 दिन में कर सकते हैं. 'जहां चाह, वहां राह', इसका परिणाम सामने आया. आज माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा 1 महीने में पूरी होती है. परिणाम 15 दिन में आने प्रारंभ हो जाते हैं व 15 दिन में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर 2 महीने में इसे पूरी कर 10 महीने का समय पठन-पाठन के लिए होता है.


 प्रदेश सरकार ने शिक्षा में कई सुधार किए


सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा में कई सुधार किए. शिक्षकों की भर्ती के साथ-साथ स्कूल तकनीक से युक्त हो सकें, इसके लिए स्मार्ट क्लास, ऑपरेशन कायाकल्प के तहत बेसिक व माध्यमिक शिक्षा से जुड़े स्कूलों में लैब, लाइब्रेरी अच्छी बने, इसकी व्यवस्था की गई. स्मार्ट क्लास स्थापित किए जा रहे हैं। पाठ्यक्रम में व्यापक सुधार किया गया. व्यवस्था की गई कि सीबीएसई के पैटर्न पर ही यूपी बोर्ड में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करते हुए यहां के बच्चों को अखिल भारतीय स्तर की किसी भी परीक्षा में विद्यालय स्तर पर अध्ययन के समय ही मानसिक रूप से तैयार किया जा सके.


 अभ्युदय कोचिंग से दिया है प्लेटफॉर्म


सीएम ने कहा कि अभ्युदय कोचिंग से बच्चों को प्रशिक्षित करने का प्लेटफॉर्म दिया गया है.उन्होंने प्रसन्नता जताते हुए बताया कि हाल में यूपी लोकसेवा आयोग का परिणाम आया. अभ्युदय कोचिंग में पढ़ने वाले 43 बच्चे इसमें चयनित हुए। इसमें बच्चों को आगे बढ़ने का बड़ा स्कोप है.


बालकों से आगे रहीं बालिकाएं


सीएम ने बताया कि हाईस्कूल की परीक्षा में इस साल 25 लाख, 20634 बच्चे शामिल हुए. परिणाम 88.18 प्रतिशत आया. उत्तीर्ण बालकों का प्रतिशत 85.25 व बालिकाओं का 91.69 रहा. मेरिट सूची में हाईस्कूल में बालकों का प्रतिशत 28 व बालिकाओं का 72 फीसदी परिणाम रहा. इंटरमीडिएट की परीक्षा में 22 लाख 37578 बच्चे शामिल हुए. परिणाम 85.33 फीसदी था. उत्तीर्ण बालकों का प्रतिशत 81.21 व बालिकाओं का 90.15 प्रतिशत रहा. मेरिट सूची में बालकों का प्रतिशत 47 व बालिकाओं का 53 फीसदी रहा। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी व परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह आदि मौजूद रहे.


इन मेधावियों को मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित


बारहवीं


दिव्या ( फतेहपुर),दिव्यांशी (फतेहपुर),अंशिका यादव (प्रयागराज),योगेश प्रताप सिंह (बाराबंकी), बालकृष्ण (फतेहपुर),प्रखर पाठक (कानपुर),जिया मिश्रा (प्रयागराज),आंचल यादव ( प्रयागराज),अभिमन्यु वर्मा (बाराबंकी), जतिन राज (मुरादाबाद),स्वाती गोस्वामी (लखनऊ).


हाईस्कूल
प्रिंस पटेल (कानपुर).संस्कृति ठाकुर (मुरादाबाद),किरन कुशवाहा (कानपुर),अनिकेत शर्मा (कन्नौज),पलक अवस्थी (कानपुर),आस्था सिंह (प्रयागराज),एकता वर्मा (सीतापुर),अथर्व श्रीवास्तव (रायबरेली),नैंसी वर्मा (कानपुर),प्रांशी द्विवेदी (कानपुर),शीतल वर्मा (सीतापुर).