लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के छह महीने रविवार को पूरे हो गए हैं. यूपी की योगी सरकार ने शवों के सम्‍मान के लिए नई एसओपी जारी की है आपराधिक मामलों और दुर्घटनाओं से संबंधित मृत शरीर की सम्मान और परंपरागत रीति-रिवाज के अनुसार अंत्येष्टि के लिए गाइडलाइन जारी की है. नई गाइडलाइन के अनुसार अब परिवार वाले खुद से या भीड़ जुटाकर सार्वजनिक स्थानों पर शव रखकर प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे. ऐसा करने वालों पर शव का अपमान मानते हुए उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. 


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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है. कोर्ट के मुताबिक गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद भी बना रहता है. मानव शरीर की गरिमा अक्षुण्ण बनाए रखने के मौलिक आशय के साथ-साथ लोक एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से यह एसओपी जारी की गई है. इसके मुताबिक परिवार को शव सौंपते समय एक प्रारूप पर इस आशय की लिखित सहमति प्राप्त की जाएगी कि वे शव को पोस्टमार्टम हाउस से  सीधे अपने घर ले जाएंगे तथा स्थापित रीति-रिवाज के अनुसार संस्कारोपरांत सीधे अंत्येष्टि स्थल पर ले जाएंगे. 


एसओपी के मुताबिक, अगर परिजनों के द्वारा स्वयं या भीड़ जुटाकर रास्ते या सार्वजनिक स्थान पर शव रखकर प्रदर्शन किया तो दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. परिवार को शव सौंपते समय एक प्रारूप पर इस आशय की लिखित सहमति प्राप्त की जाएगी. परिवार के लोग शव को पोस्टमार्टम हाउस से सीधे अपने घर ले जाएंगे.इसके बाद स्थापित रीति-रिवाज के अनुसार संस्कारोपरांत सीधे अंत्येष्टि स्थल पर ले जाएंगे.वे बीच में रास्ते में कहीं भी शव रखकर भीड़ एकत्र करने, जाम लगाने अथवा किसी दल या संगठन के सहयोग से धरना-प्रदर्शन नहीं करेंगे, ऐसा किए जाने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. 


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