देश में साइबर फ्रॉड के पंजीकृत केस पांच साल में दोगुना हो गए हैं.लेकिन अभी भी कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां एक भी साइबर क्राइम सेल का गठन तक नहीं हुआ है. जबकि यूपी, बिहार जैसे राज्यों ने साइबर क्राइम सेल की स्थापना के मामले में प्रगति की है.नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डेटा के आधार पर गृह मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में कई अहम जानकारी निकल कर आई हैं. इसमें कहा गया है कि टेक्नोलॉजी के विकास के साथ साइबर क्राइम पूरे देश में गंभीर मुद्दा बनकर उभरा है.ये अपराध किसी राज्य की सीमाओं के दायरे में नहीं बांधे जा सकते. ऐसे में अपराधियों को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.साइबर फ्रॉड करने वाले मासूम लोगों को ठगने के लिए नित नए तरीके तलाशते रहते है. सरकारी डेटा साइबर अपराध की बढ़ते मामलों की पुष्टि करते हैं.


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दोगुना हुए साइबर क्राइम केसेज
एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार, 2018 के 21796 से मामले बढ़ कर 2020 में 50035 हो गए हैं.गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने  हालिया रिपोर्ट में कहा कि पुलिस के लिए अपराधियों द्वारा अपनाए गए नए तौरतरीकों और डेटा, साइबर सुरक्षा को अपडेट करना जरूरी है.केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एक साथ आने की जरूरत है.रिपोर्ट में साइबर क्राइम के खतरे से निपटने के लिए कई राज्यों में बुनियादी ढांचे की कमी का भी खुलासा किया गया है.इसमें कहा गया है कि पंजाब,राजस्थान,गोवा,असम में एक भी साइबर क्राइम सेल नहीं है.जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम सेल की स्थापना के मामले में प्रगति हुई है.केंद्रीय गृह मंत्रालय (शफओ) राज्यों को सभी जिलों में साइबर सेल स्थापित करने की सलाह दे सकता है.


साइबर क्राइम हॉटस्पॉट की मैपिंग की जाए
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों को साइबर क्राइम हॉटस्पॉट का नक्शा बनाना चाहिए, जो अपराधों का तुरंत पता लगाने में मददगार होगा और अपराधियों के ठिकानों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी.समिति ने पाया कि ये अपराध मुख्य तौर पर आर्थिक लेनदेन से संबंधित हैं. अपराधी न केवल निर्दोष और कमजोर लोगों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाकर ठगते हैं, बल्कि बड़ी और मशहूर हस्तियों को चूना लगाने से नहीं हिचकते. समिति का कहना है कि देश में बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता है.साइबर कानून, साइबर अपराध जांच,डिजिटल फोरेंसिक ट्रेनिंग के साथ पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए राज्य प्रशिक्षण अकादमियों के साथ समन्वय करना चाहिए. साइबर अपराधों से निपटने के लिए उन्हें समय-समय पर नए टेक्निकल डिवासइ को अपग्रेड करना चाहिए. राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की पुलिस को साइबर अपराधों की तत्काल रिपोर्टिंग के लिए एक साइबर क्राइम हेल्प डेस्क बनाना चाहिए.