लखीमपुर खीरी/दिलीप मिश्रा: 14 सितंबर को दो नाबालिग दलित लड़कियों के साथ बलात्कार और फिर हत्या मामले में कुछ राजनीतिक दलों द्वारा दी गई आर्थिक मदद अब विवादों में घिर गई है. आरोप है कि कांग्रेस जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टी द्वारा दिए गए चेक बाउंस हो गए हैं. परिजनों का कहना है कि उनका मजाक उड़ाया जा रहा है. थाना निघासन इलाके के एक गांव में 14 सितंबर को दो नाबालिग दलित बहनों की लाश पेड़ से लटकी मिली थी. मामले में घटना के तुरंत बाद यूपी सरकार ने सख्ती दिखाई. इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. 14 दिन में चार्जशीट भी फाइल कर दी गई. यही नहीं 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद भी दिया गया था. एक घर और सरकारी नौकरी का ऐलान हुआ.


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सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों के नेता पहुंचे थे


घटना के दिन से सभी कांग्रेस, सपा, बसपा और दूसरी पार्टियों के नेता पहुंचे. कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने फोटो खिंचवाते हुए चेक दिए थे. साथ निभाने और न्याय दिलाने के वादे भी किए. लेकिन कुछ राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा दिए गए चेक अब बाउंस होने लगे हैं. घटना के 68 दिन बीत जाने के बाद यूपी कांग्रेस कमेटी का 2 लाख का चेक बाउंस हो चुका है. कांग्रेस विधायक वीरेंद्र कुमार चौधरी का एक लाख का चेक और UP नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी का दिया एक लाख का चेक भी बाउंस हो चुका है. बताया जा रहा है कि इनमें एक चेक सिग्नेचर मैच न होने से रिजेक्ट हो गया. 


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वहीं परिवार का आरोप है अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को लिखित में आर्थिक मदद और फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई का भरोसा दिया था. इनमें 16 लाख रुपये तो पीड़ित परिवार को मिले थे, लेकिन प्रशासन ने लिखित में जो दिया था वह अभी तक नहीं मिला. पीड़िता के भाई ने कहा कि पूरे अब मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक में होने की बात कही गई थी, बावजूद अभी तक कार्रवाई धीमी गति से चल रही है.


चेक वापस लेने पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ता
चेक बाउंस होने के बाद किरकिरी होते देख कांग्रेस कार्यकर्ता चेक वापस लेने पीड़िता के घर पहुंचे. उन्होंने कहा कि बोला चेक में कुछ कमी रह गई थी जिसके चलते वह वापस लेकर नया चक दे देंगे. वहीं पीड़िता के भाई ने जिला प्रशासन द्वारा दी गई सहायता भी अभी तक न मिलने की बात कही है.