नई दिल्ली:  बैंकिंग सर्विस समय के साथ बेहद आसान होती जा रही हैं. एक समय था जब लोगों को बैक में घंटों लाइन में लगकर पैसा निकालना पड़ता था. लेकिन डेबिट और एटीएम कार्ड के आने के बाद यह झंझट खत्म हो गया. अब बस नजदीकी एटीएम पर जाकर पैसा निकाल सकते हैं. वहीं, अब कैश लेकर चलने की भी जरूरत नहीं है. शॉप पर कार्ड स्वाइप किया और हो गया पेमेंट. लेकिन मुद्दे की बात यहीं से शुरू होती है. क्या आपने कभी सोचा है कि इस छोटे से कार्ड में ऐसा क्या है. जिसकी वजह से बड़े-बड़े काम चुटकियों में हो जाते हैं. आइए जानते हैं....


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कार्ड के 16 डिजिट में छिपी हैं बेहद अहम जानकारियां 
अगर आपने गौर किया हो तो देखा होगा कि डेबिट कार्ड पर एक 16 अंकों का एक नंबर छपा होता है. इन 16 डिजिट में आपके कार्ड की बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां होती हैं. यह नंबर आपके वेरिफिकेशन, सिक्योरिटी और पहचान के लिए बेहद काम के हैं. जब आप कोई भी पेमेंट करते हैं तो इन नंबरों के जरिए ही आपके बैंक अकाउंट नंबर, कार्ड की कंपनी की जानकारी मिलती है.


डेबिट कार्ड पर छपे 16 डिजिट के पहले 6 अंक बैंक आइडेंटिफिकेशन नंबर' होते हैं. इसके बाद के 10 अंक कार्डहोल्डर का यूनिक नंबर कहा जाता है. इसीलिए कहा जाता है कि कार्ड खो जाने पर फौरन इसको ब्लॉक करा देना चाहिए. जानिए क्या होता है 16 डिजिट का मतलब..


 



पहला डिजिट:  कार्ड पर दर्ज पहला अंक यह बताता है कि इस कार्ड को किस इंडस्ट्री ने जारी किया है. इस नंबर को मेजर इंडस्ट्री आइडेंटिफाई कहते हैं. 


अंकों का क्या है मतलब
पहले 6 डिजिट यह बताते हैं कि कार्ड को किस कंपनी ने इश्यू किया है. इसे इश्यूर आइडेंटिफिकेशन नंबर कहते हैं. वहीं, सातवें अंक से लेकर 15वें अंक का संबंध बैक अकाउंट से होता है. वहीं, कार्ड का 16वां अंक यह बताता है कि आपका कार्ड कब तक वैलिड है. अंतिम डिजिट को चेकसम डिजिट कहते हैं.