हरिद्वार: ब्रह्मलीन जगतगुरु शकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को संतो ने भारत रत्न दिए जाने की मांग की है. सोमवार को धर्मनगरी हरिद्वार के संतों ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभा का आयोजन किया. कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में आयोजित शोक सभा मे संतों ने शंकराचार्य की विद्वता और सरल स्वभाव का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी जी को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जाना चाहिए. 


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संतों ने दी श्रद्धांजलि
संतों ने केंद्र सरकार से उनकी जीवन यात्रा पूरी होने पर राष्ट्रीय शोक और देहरादून में स्थित हवाई अड्डे का नाम भी शंकराचार्य हवाई अड्डा किए जाने की मांग की है. संतों ने बताया कि स्वामी स्वरूपानंद जी ने इसको लेकर कई बार सरकार से मांग की थी जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम शंकराचार्य के नाम से किया जाए. शंकराचार्य मठ में शंकराचार्य के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए संतों ने कहा कि उनके मार्ग दर्शन का अभाव सदा ही संतों का रहेगा. जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि स्वरूपानंद सरस्वती एक बहुत ही निर्भीक संत थे. वह कहते थे कि संन्यासी किसी से डरता नहीं है. डरने वाला व्यक्ति संन्यासी नहीं हो सकता. वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. 


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अखाड़ों की परंपरा का निर्वहन किया
स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि संत जगत गुरु शंकराचार्य सभी संतों के मार्गदर्शन थे. अखाड़ों की परंपरा का उन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया. दो बार आजादी के लिए वह जेल गए. स्वतंत्रता के आंदोलन से लेकर समाज सेवा के क्षेत्र में भी वह हमेशा आगे रहे. ऐसे में भारत सरकार से मांग करता हूं कि उन्हें भारत रत्न जैसा अलंकरण प्रदान किया जाए. बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी रुपेंद्र प्रकाश ने कहा कि स्वरूपानंद सरस्वती को भारत रत्न प्रदान करना उनके द्वारा स्थापित श्रेष्ठ आध्यात्मिक मूल्यों का सम्मान होगा.