UP Dengue Cases : उत्तर प्रदेश में तेजी से पैर पसार रहा डेंगू, जानें कैसे करें बचाव
UP Dengue Cases : उत्तर प्रदेश में इस साल अब तक 18 हजार से अधिक डेंगू मरीज सामने आ चुके हैं. पिछले 24 घंटे में 12,344 टेस्ट हुए हैं, इनमें 5,666 मरीजों में डेंगू का लक्षण पाया गया है. डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) एक्शन में हैं, उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों को सख्त लहजे में जल्द से जल्द डेंगू से बचाव के उपाय करने को कहा है.
अरविंद मिश्रा: प्रदेश में डेंगू लगातार अपने पैर फैला रहा है.कानपुर में पिछले कुछ दिन में ही 12 नये रोगी मिले हैं. इस साल अभी तक 122 डेंगू के मरीज सामने आए हैं. बुखार के आए 57 मरीज में डेंगू के लक्षण पाए जाने पर रिपोर्ट जांच के लिए भेजी गई है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा एंटी लार्वा का छिड़काव और फॉगिंग से डेंगू के प्रसार की रोकथाम की कोशिश की जा रही है.
उन्नाव में जांच के लिए भटकते मरीज
एक तरफ डेंगू लगातार पांव पसार रहा है. दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग बड़ी लापरवाही उन्नाव में मरीजों को साथ देखने को मिल रही है. हालात यह हैं की सैंपल लेने के बाद 4 से 5 दिन तक रिपोर्ट ही नहीं मिल रही है. डेंगू जैसे लक्षन दिखने वाले मरीजों का स्वास्थ विभाग मैंक एलाइजा टेस्ट कराता है. टेस्ट के लिए सैंपल लखनऊ भेजा जाता है, लेकिन आलम यह है कि पांच-पांच दिन तक रिपोर्ट नहीं आ पाती. जी मीडिया रियलिटी चेक में यह सच सामने आया है. मरीजों तथा उनके अटेंडेंट ने बताया कि चार-पांच दिन होने के बाद भी रिपोर्ट नहीं आई है. डॉक्टर कहते हैं कि रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. एक तरफ जहां जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पाती वही चिकित्सकों की भी मजबूरी रहती है कि वह लक्षणों के आधार पर ही इलाज करें. सवाल यह उठता है कि डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी में मरीजों के साथ इस तरह की लापरवाही क्यों की जा रही है. सीएमओ सत्यप्रकाश ने बताया कि उन्नाव जिला अस्पताल के साथ सभी सीएससी पर डेंगू से इलाज के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है.
जौनपुर में सिटी मजिस्ट्रेट ने संभाला मोर्चा
जौनपुर में डेंगू बीमारी के चलते दो दर्जन से अधिक मौते होने के बाद अब जिला प्रशासन नींद से जाग उठा है. सिटी मजिस्ट्रेट ने दावा किया कि तीन दिन में हर गली मोहल्ले में फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव करके डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को मार दिया जाएगा. एक महीने के भीतर तीन सरकारी कर्मचारियों समेत दो दर्जन से अधिक लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है. सैकड़ों लोग जिले के अस्पतालों से लेकर वाराणसी,लखनऊ समेत अन्य महानगरों के अस्पतालों में भर्ती हैं. सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि अगले तीन दोनों तक नगर पालिका अपनी पूरी क्षमता से हर मोहल्ले और गलियों में फागिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव करेंगी जिससे डेंगू वाले मच्छर समाप्त हो जाएगा.
फिरोजाबाद में जागरुकता अभियान का दिखा असर
जिले में पिछले कुछ दिनों पहले हुई बारिश के बाद मौसम में अचानक हुए परिवर्तन से डेंगू का खतरा बढ़ने की आशंका है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए सर्वे के दौरान जनपद में अलग-अलग स्थानों से अब तक डेंगू के 150 से अधिक मरीज मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की माने तो विभाग और प्रशासन द्वारा जागरुकता कैंप लगाने से इस बार डेंगू से काफी राहत मिली है. वर्तमान में डेंगू के 3-4 मरीज ही जिला मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं.
फतेहपुर में प्लेटलेट्स और प्लाज्मा की व्यवस्था नहीं
डेंगू के लगातार मामलों को देखते हुए जी मीडिया की टीम ने जिला अस्पताल में डेंगू वार्ड का जायजा लिया. यहां अव्यवस्थाओं का अंबार नजर आया. जिला अस्पताल में भर्ती डेंगू से पीड़ित एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि उन्होंने डेंगू की जांच बाहर से करवाई है, जबकि जिला अस्पताल में वो जांच पूरी तरह से निशुल्क है. जी मीडिया की टीम को देखकर अस्पताल स्टाफ ने जल्दी-जल्दी में मच्छरदानी लगानी शुरु कर दी. वहीं प्लेटलेट्स और प्लाज्मा की अगर बात करें तो जिले के किसी भी अस्पताल में इसकी कोई भी व्यवस्था नहीं है.
देवरिया का हाल
देवरिया में अब तक कुल 21 मरीज डेंगू के चिन्हित किए गए हैं. जी मीडिया की टीम ने देवरिया जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड का निरीक्षण किया. वहां परिजनों ने बताया कि यहां दवा और खाना दोनों मिल रहा है. कोई परेशानी नहीं है.हालांकि देवरिया जनपद में मेडिकल कॉलेज में प्लेटलेट्स और प्लाज्मा की कोई व्यवस्था नहीं है. इस संबंध में हमने जिला अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक और जनपद के सीएमओ से बात की तो उनका कहना था कि प्लेटलेट्स के लिए लाइसेंस बनाने के लिए औपचारिकता पूरी कर दी गई है जल्दी लाइसेंस मिल जाएगा.
बरेली में स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों की खुली पोल
बरेली की बात की जाए तो डेंगू पॉजिटिव मरीजों की संख्या का आंकड़ा 158 तक जा पहुचा है. जी मीडिया की पड़ताल में बरेली में स्वास्थ्य महकमे की पोल खुलती दिखाई दी. यहां स्वास्थ्य विभाग के दावे पूरी तरह खोखले साबित हो रहे हैं.
मुज्जफरनगर में प्राइवेट अस्पतालों का सहारा
यहां डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं. हालात ये है कि सरकारी अस्पताल में नाम मात्र मरीज आ रहे हैं. लेकिन प्राइवेट अस्पताल में मरीजो की भीड़ लगी हुई है. परिजनों का आरोप है कि डेंगू के नाम पर प्राइवेट डॉक्टर आम आदमी की जेब पर डाका डाल रहे हैं.
शामली में कीटनाशकों का कब होगा छिड़काव
डेंगू के कहर के चलते हैं एक 15 साल की एक लड़की की जान चली गई. घटना के बाद से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका की भी लापरवाही सामने आई है. जहां उन्होंने नगर पालिका क्षेत्र व देहात में कोई भी कीटनाशक दवाई का छिड़काव नहीं कराया है.
क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो डेंगू से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण तरीका इसके मच्छर को पनपने से रोकना है. डॉ अभिषेक शुक्ला (Dr Abhisek Shukla) के मुताबिक डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है. यह सामान्यत: साफ लेकिन कई दिनों से जमा पानी में ही रहता है. अक्सर हम देखते हैं कि घर या हमारे आसपास गमले, कूलर, प्लास्टिक या टायर में पानी कई दिनों तक जमा रहता है. यह पानी दिखने में भले ही साफ हो लेकिन कई दिन तक जमा होने से इसमें एडीज मच्छर पैदा होने लगता है. इसलिए सबसे पहले पानी कई दिनों तक खुली जगह में एकत्र न होने दें. कीटनाशक युक्त मच्छरदानी का उपयोग कर सकते हैं. इन मच्छरदानी में बैठते ही मच्छर मर जाते हैं. डॉ अभिषेक शुक्ला के मुताबिक डेंगू के मरीजों को बहुत तेज बुखार आता है. इसे बैक बोन फीवर (हड्डी तोड़ बुखार) भी कहा जाता है. इसमें मरीजों के जोड़ों में तेज दर्द होता है. डेंगू मरीजों में बल्ड प्लेटलेट्स कम हो जाता है. इससे पहले की मरीज गंभीर अवस्था में आ जाए तुरंत डॉक्टरों की देखरेख में उपचार शुरू कराना चाहिए. प्लेटलेट्स कम होने की वजह से रक्त स्राव की स्थिति बन सकती है. नाक से खून बहना, रक्त के चकत्ते पड़ना डेंगू के लक्षण होते हैं. डेंगू में डिहाइड्रेशन की आशंका काफी बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में पानी की कमी न होने दें. कोई भी घरेलू उपचार करने के बजाय डॉक्टर और एक्सपर्ट से सलाह लेकर ही दवाएं लें.