त्रिपुरेश त्रिपाठी/देवरिया: जहां चाह, वहां राह. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है देवरिया जिले के सदर ब्लॉक के सुरौली गांव की रहने वाली पूजा शाही ने. लगन और मेहनत ने आज उन्हें इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है कि आज वह सैकड़ों की संख्या में महिलाओं को रोजगार दे रही हैं और देवरिया जिले सहित देश का नाम रोशन कर रही हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

2009 में शुरू किया काम
2009 में पूजा शाही ने हैंडीक्राफ्ट यानी हाथ से बने समान की शुरुआत की. अपने घर में क्रोशिया से बनते सामान को देख कर उससे सीख ली और धीरे-धीरे काम शुरू कर दिया. धीरे-धीरे इनका काम बढ़ने लगा. इन्होंने अपने हाथ से घर पर ब्रेसलेट, बुक होल्डर, लैंप सेड, मिरर वाल हेगर, झूला इत्यादि समान बनाने लगीं. इस काम में उन्होंने अपने साथ दर्जनों महिलाओं को जोड़ लिया. 


अब इनके हाथों द्वारा बने सामानों से महिलाएं कैसे पैसे कमाएं, इस पर पूजा ने मंथन शुरू किया. स्कूल-कॉलेज और अलग-अलग संस्थानों में गईं. हैंडीक्राफ्ट दिखातीं और फिर ऑर्डर लेती थीं, जो काम मिलता, उससे मिले पैसों को अपने साथ जुड़ी महिलाओं के साथ आपस में बांट लेती थीं.


इसके बाद क्रोशिया के बने सॉफ्ट टॉयज, एक्सेसरीज, ज्वेलरी, होम डेकोरेटिव आइटम्स आदि बनाने का काम भी शुरू किया. बच्चों का पालना, झूला से लेकर सोफा कवर, टीवी कवर आदि पहले से बना रही थीं. धीरे-धीरे प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ने लगी. मिरर वॉल हैंगर, फोटो फ्रेम, कर्टेन, मैट कवर, बॉटल होल्डर, पर्स की मांग बढ़ गई. लेकिन मार्केटिंग क्या है, कैसे अपने प्रोडक्ट्स बेचेंगे, इस काम में जागृति नाम की संस्था ने 2014 में मदद की. संस्था की मदद से अब पूजा के पास अमेरिका और जर्मनी से ऑर्डर आते हैं. 


करीब 300 महिलाओं को दे रहीं रोजगार 
पूजा इस समय 300 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. पूजा का कहना है कि उनका लक्ष्य कम से कम 10 हजार महिलाओं को अपने कार्य से जोड़ना और उनको रोजगार देना है. उनका कहना है कि जो महिलाएं घर पर रहती हैं, वह इसके महत्व को समझें और घर से बाहर निकले और कार्य शुरू करें. 


पूजा शाही के पिता प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और अब घर आकर खेती बाड़ी का कार्य करते हैं. शुरुआत में पूजा शाही को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उनका कहना था कि घर से निकलने पर सबसे पहले लोग चरित्र पर हमला बोलते हैं और अपने तरीके से अलग-अलग बातें करते हैं .लेकिन इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए. मेरे कार्य में मेरे पापा मेरे साथ खड़े थे. मैंने अपने काम के आगे सबको मजबूर कर दिया. और सफलता की सीढ़ी हमें प्राप्त हुई. 


उनके इस काम में जागृति एसीआईसी संस्था ने सहयोग किया. इस संस्था की वजह से विदेशों में से काम मिलना शुरू हो गया. साथ ही वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट ड्रीम योजना में उनका प्रोडक्ट चुना गया है. उनका कहना है कि इस कार्य में सदर विधायक शलभ मणि त्रत्रिपाठी ने भी मदद की. वह भी उचित सलाह देते रहते हैं और हर संभव मदद करने का भी प्रयास करते हैं. उनका कहना है कि कोई भी कार्य लक्ष्य बनाकर करना चाहिए. सफलता तत्काल नहीं मिलती है लेकिन आप काम निरंतर करेंगे तो सफलता मिलेगी और हमेशा मिलती रहेगी.