अजय कश्यप/बरेली: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सड़क पर होने वाले हादसों पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक (Automatic Driving Test Track) को बनाया है. इस तरह के ट्रैक बनाने में बरेली जिला प्रदेश का दूसरा जिला है, जिसमें ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर प्रतिभागियों का टेस्ट लिया जा रहा है.


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पहले कानपुर में उपलब्ध थी ये सुविधा 
आपको बता दें कि अब ट्रेंड वाहन चालकों को ही ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा. लाइसेंस प्रक्रिया में अब किसी अफसर-कर्मचारी की दखल नहीं होगी. इसके अलावा ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर ट्रायल के बाद कंप्यूटर के जरिए जारी होगा. बरेली में इसके लिए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक बनाया गया है. इसके बाद प्रदेश के अब बरेली दूसरा जिला बन गया है. बता दें कि इससे पहले ये सुविधा कानपुर में उपलब्ध थी. 


आरटीओ बरेली ने दी जानकारी
इस मामले में आरटीओ बरेली एस के गुप्ता ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक परसाखेड़ा में बन कर तैयार हो गया है. सेंसर वाला आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर टेस्ट पास करने वाले आवेदनकर्ता को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी होगा. ट्रैक पर टेस्ट देते समय कोई गलती हुई, तो सेंसर तुरंत पकड़ लेगा. आरटीओ के मुताबिक सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखकर ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण किया गया है. इसके अलावा ट्रैक पर एच, आफ, एस, पार्किंग, यू टर्न, आठ, जेब्रा क्रासिंग, प्रमुख ट्रैफिक सिग्नल बनाए गए हैं. सभी सिग्नल पर सेंसर लगा हैं, जिन्हें सीधा कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है.


ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर के इंस्ट्रक्टर ने दी जानकारी 
वहीं, ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर के इंस्ट्रक्टर एसएन खान ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ड्राइविंग के समय गाड़ी ट्रैक के किनारे पर टच होती है, तो सेंसर गलती पकड़कर आगे कम्प्यूटर को पास कर देगा. टेस्ट के वक्त दूसरा ड्राइविंग न करे या कोई मदद न करे, इसके लिए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. गाड़ी ट्रैक से बाहर आते ही कम्प्यूटर से फेल या पास की स्लिप जारी करेगा. टेस्ट के आधार पर ही लाइसेंस जारी होगा.


अभी तक 8440 लोगों में सिर्फ 900 लोग हुए इस टेस्ट में पास  
आपको बता दें कि पांच हजार वर्गमीटर में बना बरेली का सेंसर तकनीक वाला आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक प्रदेश में कानपुर के बाद दूसरा है. टेस्ट के वक्त होने वाली गड़बड़ियों को सेंसर रीड करेंगे और सीसीटीवी कैमरे से उसकी नजर रखी जाएगी. गलती पर खुद प्वाइंट कटेंगे. तय प्वाइंट पर पास या फेल कंप्यूटर से ही तय हो जाएगा. दरअसल, बरेली में अभी तक 8440 लोगों ने टेस्ट दिया है, जिसमें सिर्फ 900 लोग ही इस टेस्ट में पास हुए हैं. मतलब सिर्फ 10 प्रतिशत लोग ही इस टेस्ट में पास हुए हैं. 


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