UP सरकार की नीतियों का असर, डेटा और आईटी सेक्टर में बढ़ी देशी और विदेशी निवेशकों की रुचि
ग्रेटर नोएडा में पहला डाटा सेंटर अगस्त में शुरू होगा. डाटा पार्क में 5 साल में 5 हजार करोड़ रुपये का निवेश हीरानंदानी समूह करेगा. सॉफ्टवेयर साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड 26092 करोड़ रुपए का निवेश करेगी.
लखनऊ: ग्रेटर नोएडा में पहला डाटा सेंटर अगस्त में शुरू होगा. डाटा पार्क में 5 साल में 5 हजार करोड़ रुपये का निवेश हीरानंदानी समूह करेगा. सॉफ्टवेयर साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड 26092 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. एसटी टेलीमीडिया ग्लोबल डाटा सेंटर्स की ओर से भी 1130 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव है.
लखनऊ, 4 जून
ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में प्रस्तावित निवेश से यह स्पष्ट हो गया कि दुनिया की शीर्ष कंपनियां अपने डाटा को उत्तर प्रदेश में ही स्टोर करना चाह रही हैं. यहां तक कि आईटी सेक्टर में निवेश के लिए भी यूपी ही उनकी पहली पसंद बन रहा है. वजह है योगी सरकार की डाटा सेंटर और आईटी सेक्टर की नीतियां, जो कि निवेशकों की रुचि उत्तर प्रदेश में निवेश करने की दिशा में बढ़ा रही हैं. कुल जो 80024 करोड़ के एमओयू साइन हुए हैं, उनमें सर्वाधिक 35 प्रतिशत हिस्सा डाटा सेंटर और आईटी सेक्टर के क्षेत्र में आया है.
निवेश के आकार के आधार पर क्षेत्रीय वितरण पर एक नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि कुल निवेश का 25 प्रतिशत डाटा सेंटर को मिला है. इस क्षेत्र में कुल 19,928 करोड़ रुपये के निवेश के साथ सात बड़ी परियोजनाएं हैं. इसके बाद आता है आईटी सेक्टर जिसे कुल निवेश का 10 प्रतिशत मिला है.
प्रदेश में ग्रेटर नोएडा में 5000 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा पहला डाटा सेंटर अगस्त में शुरू हो जाएगा. शुक्रवार को ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के दौरान देश के प्रमुख उद्योगपति निरंजन हीरानंदानी ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अगस्त में इसके लोकार्पण का भी अनुरोध भी किया. योगी सरकार में औद्योगिक और निवेश के माहौल की तारीफ करते हुए उन्होंने अगले पांच साल में डाटा सेंटर में हर साल एक-एक हजार करोड़ रुपए के निवेश की भी घोषणा की.
वहीं अदानी एंटरप्राइजेज का दूसरा डाटा सेंटर नोएडा के सेक्टर 62 में है, और जो कि जून 2024 तक चालू हो जाएगा, जिससे 1,100 लोगों को रोजगार मिल सकेगा.
मेसर्स अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड, मेसर्स एनटीटी ग्लोबल डाटा सेंटर्स एंड क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटेड और मेसर्स वेब्वर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बाद मेसर्स एसकेवीआर सॉफ्टवेयर साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (मेसर्स सिफी इन्फिनिट स्पेसीज लिमिटेड) और मेसर्स एसटी टेलीमीडिया ग्लोबल डाटा सेंटर्स ने भी डाटा पार्क में 3822 करोड़ रुपये के निवेश की इच्छा जताई है.
मेसर्स एसकेवीआर सॉफ्टवेयर साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (मेसर्स सिफी इन्फिनिट स्पेसीज लिमिटेड इस क्षेत्र में करीब दो दशकों से कार्यरत है. कंपनी के मुंबई, बंगलौर, चेन्नई आदि महानगरों में करीब 20 डाटा सेंटर्स हैं. कंपनी दो चरणों में 851 करोड़ और 661 करोड़ रूपये का निवेश करेगी. निर्माण का कार्य जारी है. पहले चरण का काम 2023 मे पूरा हो जाएगा. दोनों चरणों के पूरा होने पर करीब 4000 लोगों को रोजगार मिलेगा.
इसी तरह मेसर्स एसटी टेलीमीडिया ग्लोबल डाटा सेंटर्स की ओर से भी 1130 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तवित है. कंपनी दो चरणों में 565 -565 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. परियोजना का पहला चरण 2024 में पूरा हो जाएगा.
उल्लेखनीय है कि "उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति- 2021 के तहत गठित नीति क्रियान्वयन इकाई की 6 जनवरी 2022 को हुई बैठक में नीति के प्रावधानों के तहत तीन डाटा सेंटर्स पार्क को लेटर ऑफ कंफर्ट जारी करते हुए इनको वित्तीय प्रोत्साहनों के बाबत भी संस्तुति की गई है. ये कंपनियां हैं मेसर्स अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड. अडानी को ग्रुप को नोयडा स्थित परियोजना-1 के सेक्टर 62, परियोजना-2 के सेक्टर 80 में भूमि उपादान और दो ग्रिड लाइनों द्वारा विद्युत आपूर्ति की संस्तुति की गई है. इसी क्रम में मेसर्स एनटीटी ग्लोबल डाटा सेंटर्स एंड क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटेड को भी उसी तरह विद्युत आपूर्ति की संस्तुति की गई थी. एक अन्य कंपनी मेसर्स वेब्वर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 197 करोड़ रुपए के प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए उसको भी लेटर ऑफ कंफर्ट 22 अप्रैल 2022 को जारी किया जा चुका है.
दूसरा सिलिकॉन वैली बन रहा नोएडा
250 मेगावाट डाटा सेंटर्स उद्योग विकसित किए जाने की मंशा से यूपी सरकार डाटा सेंटर नीति 2021 लाई थी. इसके जरिए प्रदेश में करीब 20 हजार करोड़ रुपए का निवेश और बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा. चूंकि नोएडा पहले से ही देश के इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री का हब बन चुका है. ऐसे में ग्रेटर नोएडा का इस इंडस्ट्री से जुड़े लोंगों के आकर्षण का स्वाभाविक केंद्र बनना तय है. प्रगति की स्थिति यही रही तो नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा भी दुनियां का दूसरा सिलिकॉन वैली (अमेरिका) जैसा होगा. सरकार के प्रोत्साहन और इंडस्ट्री के लिए मुफीद नीतियों के नतीजे अब तक बेहतरीन रहे. नतीजन बीते 5 वर्षों में आईटी तथा इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की विख्यात कंपनियों ने नोएडा में भारी निवेश किया है. बहुराष्ट्रीय कंपनी माइक्रोसॉफ्ट, अडानी ग्रुप और एमएक्यू जैसी विख्यात कंपनियों ने नोएडा में डाटा सेंटर की स्थापना करने के लिए जमीन खरीदी है. इन तीनों ही कंपनियों के अलावा एचसीएल, गूगल और टीसीएस नोएडा में पहले ही पैर पसार चुकी हैं. कुछ साल पहले तक आईटी सेक्टर की ये विख्यात कंपनियां उत्तर प्रदेश में आने तक को तैयार नहीं थी. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई आईटी नीति तैयार कराई.
नीति के अंतर्गत दी गई रियायतों के चलते 30 बड़े निवेशकों ने आईटी सेक्टर में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करने में रुचि दिखाई. आईटी सेक्टर में निवेशकों के बढ़ती रूचि को देखते हुए मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस क्षेत्र को "इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन" घोषित करने का फैसला लिया. सरकार के इस फैसले से देश के दिग्गज औद्योगिक घरानों समेत चीन, ताइवान तथा कोरिया की अनेक प्रतिष्ठित कंपनियां यूपी में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए आगे आयीं.
इन कंपनियों के निवेश संबंधी प्रस्तावों पर कार्रवाई करते हुए नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने माइक्रोसॉफ्ट को सेक्टर 145 में 60 हजार वर्गमीटर आंवटित की गई. इस भूमि पर जल्दी ही 1800 करोड़ रुपए का निवेश कर माइक्रोसॉफ्ट का साफ्टवेयर पार्क और डाटासेंटर स्थापित होगा. इस प्रोजेक्ट में 3500 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा. इसी प्रकार नोएडा अथॉरिटी ने अडानी ग्रुप इस प्रोजेक्ट पर 2,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा. इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी ने 16,350 वर्ग मीटर का बड़ा प्लॉट एमए क्यू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को अलॉट किया है. एमएक्यू दुनिया की अग्रणी आईटी और आईटीईएस कंपनियों में एक है. कंपनी इस प्लॉट पर एक आईटी प्रोजेक्ट लगाएगी. इस पर कंपनी 250 करोड़ रुपये का निवेश करेगी.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने सेक्टर 28 में 200 एकड़ भूमि पर डाटा सेंटर पार्क विकसित करने का फैसला किया है. इस डाटा सेंटर पार्क में 40 मेगावॉट क्षमता वाले डाटा सेंटर को भूमि आवंटित करने में प्राथमिकता दी जाएगी. इस संबंध में तैयार की गई परियोजना के तहत में लिए जाने वाले ऋण में सरकार 60 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी. जमीन खरीदने में भी 25 प्रतिशत का अनुदान मिलेगा. किसी कंपनी द्वारा पहली इकाई के निर्माण में स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट मिलेगी. जबकि दूसरी इकाई लगाने में यह छूट 50 प्रतिशत होगी. यीडा के अधिकारियों का मानना है कि सेक्टर 28 में विकसित किए जा रहे डाटा सेंटर गपार्क में दुनिया की नामी कंपनियां निवेश करेंगी.
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