Farmers News: हरदोई में मखाने की खेती से किसान हुए मालामाल, कमा रहे लाखों का मुनाफा
मखाने की बेल को घसीटा, कमल ककड़ी, भसीड़ा और मुराल नाम से भी जाना जाता है. इसकी फसल के लिए बीज और बेड़ दोनों डाली जाती है, बिहार के दरभंगा जिले से शुरू हुई यह खेती पूर्णिया, कटिहार, सहरसा से होते हुए उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और मध्यप्रदेश के ज्यादातर जिलों में पहुंच चुकी है. भारत के अलावा चीन, जापान, कोरिया और रूस में भी मखाने की खेती होती है. मखाना कमल के फूल के अलावा पानी खास से भी पैदा किया जाता है.
आशीष द्विवेदी/हरदोई: यूपी के हरदोई में मखाने की खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है. मखाने की बेल को घसीटा, कमल ककड़ी, भसीड़ा और मुराल नाम से भी जाना जाता है. इसकी फसल के लिए बीज और बेड़ दोनों डाली जाती है, बिहार के दरभंगा जिले से शुरू हुई यह खेती पूर्णिया, कटिहार, सहरसा से होते हुए उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और मध्यप्रदेश के ज्यादातर जिलों में पहुंच चुकी है. भारत के अलावा चीन, जापान, कोरिया और रूस में भी मखाने की खेती होती है. मखाना कमल के फूल के अलावा पानी खास से भी पैदा किया जाता है.
5 महीने में तैयार होती है फसल
यूपी के किसान ज्यादातर कमल के फूल से मखाना पैदा करते हैं. हरदोई के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार के मुताबिक मखाने की यह फसल लगभग 5 महीने में तैयार हो जाती है. दिसंबर और जनवरी माह में इसकी बुवाई की जाती है. प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में 80 किलोग्राम मखाना बीज बोया जाता है. फल आने से पहले नील कमल खिलता है. 2 महीने में यह फलों में परिवर्तित हो जाता है, हर फल में 20 बीज निकलते हैं, स्थानीय भाषा में इसे गोरिया भी कहा जाता है.
मखाने की खेती से मालामाल हो रहे किसान
हरदोई के कछौना विकासखंड के गांव सेमरा खुर्द निवासी रामजीवन मखाने की खेती कर रहे हैं. इनका कहना है कि मखाने की खेती से 1 एकड़ में लगभग 3 से 4 लाख की कमाई होती है. यह खेती परंपरागत खेती से बेहतर है, इस खेती में कोई भी बाहरी खाद की आवश्यकता नहीं होती है. मखाने की खेती करने से उन्हें काफी मुनाफा हुआ है. अब आसपास के किसान भी मखाने की खेती कर रहे हैं.इसके फलों को बेचने के लिए बाजार ढूंढनी नहीं पड़ती है, खरीदार स्वयं उनसे आकर संपर्क कर फल खरीद कर चले जाते हैं. लिहाजा गांव में ही उनकी फसल की बिक्री हो जाती है और अच्छा मुनाफा भी होता है, लिहाजा अब बड़ी संख्या में किसान मखाने की खेती कर खुद को मालामाल कर रहे हैं.
बिहार के दरभंगा से बीज लाकर करते हैं मखाने की खेती
यूपी के किसान अधिकतर दरभंगा से बीज लाकर मखाना खेती कर रहे हैं. भारत में तकरीबन 20 हजार हेक्टेयर खेत में मखाने की खेती की जा रही है. सरकार इसकी खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 7 साल के लिए पट्टे दे रही है. बैंक भी मखाना उत्पादकों को सब्सिडी दे रही है. मेडिकल कालेज के चिकित्सक डॉ शेर सिंह के मुताबिक मखाना स्वाद के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है. गर्भवती महिलाओं के लिए मखाने का सेवन फायदेमंद और पाचन शक्ति बढ़ाने वाला है, मखाना एंटीऑक्सीडेंट भी है, मखाने का इस्तेमाल सांस की समस्या नसों में कमजोरी, गड़बड़ाई पाचन शक्ति, मूत्र विकार और शारीरिक कमजोरी से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में सहायक है.
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