उत्तराखंड का महापर्व हरेला आज मनाया जा रहा है.  शिव उपासना करने का पर्व हरेला काटने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि होती है . सावन महीने में शिव आरधना  का विशेष महत्व माना गया है. जो व्यक्ति अपने जीवन में सावन महीने में पर्यन्त शिव जी की आराधना करते हैं उसे सुख समृद्धि प्राप्त होती है.आइए जानते हैं हरेला पर्व पूजा विधि क्या है.


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Harela 2023: हरेला पर्व के साथ आज से सावन महीने की शुरुआत हो रही है. आज उत्तराखंड में हरेला पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इसमें घरों में सुबह से हरेला काटा जाएगा. इसके बाद इष्ट देवों को हरेला समर्पित किया  जाता है.  इसके बाद परंपरानुसार घर के बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया जाता है.  माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं . 


क्या है पूजा विधि  


हरेला पर्व काटने का शुभ मुहूर्त सुबह का माना जाता है. सावन महीने  में शिव पूजा का विशेष महत्व होता है . जो भी व्यक्ति जीवन में सावन महीने पर्यन्त शिव आराधना करता है,उसे भगवान कुबेर से धन वैभव देते है.  हरेला पर्व पर पूजन करने से समस्त रोग दूर हो जाते है. अगर आप पूरे महीने  शिव पूजन न कर सके तो आप रोज सुबह और शाम को ‘पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय’ का जाप करना शुरू करें.  शिव तांडव स्रोत पाठ कर सकते हैं.  शिव पुराण के अनुसार माना जाता है  हरेला पर्व पर विद्यार्थियों को विद्या प्राप्ति के लिए शिव पूजन निश्चित रूप करना चाहिए.


डिकारे पूजन की परंपरा 
हरेला पर्व पर डिकारे पूजन की परंपरा वर्षों पुरानी मानी जाती है. सावन के  महीने  में भगवान शिव की आराधना की जाती है.  इस पर्व पर  मिट्टी से शिवजी के परिवार (गणेश, पार्वती, कार्तिकेय) की प्रतिमा बनाते है.  इसे एक टोकरी में हरेला के साथ ही रख  दिया जाता है. इसके बाद  टोकरी में पकवान, 5 प्रकार के फल चढ़ाते है. अगली सुबह हरेला काटकर शिवजी को चढ़ाया जाता है और डिकारे का विसर्जन कर दिया जाता है. इसे  हरेला संपन्न होने का प्रतीक माना जाता है.