फिरोजाबादः जिला कारागार में 39 कैदियों ने रचा इतिहास, सलाखों के पीछे पढ़ाई कर पास की यूपी बोर्ड की परीक्षा
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के नतीजे शनिवार को घोषित हो गए हैं. इन परीक्षाओं में आम छात्रों के साथ-साथ जिला कारागार के बंदियों का प्रदर्शन भी बेहतरीन रहा. इन कैदियों की पढ़ाई में जेल की सलाखें भी रोड़ा नहीं बन सकीं.
प्रेमेंद्रा कुमार/फिरोजाबाद: अक्सर ही कारागारों से ऐसी खबरें बाहर आती हैं, जिनके बारे में सुनकर समाज में कोई अच्छा संदेश नहीं जाता, लेकिन इस बार जिला कारागार ने इस बात को गलत साबित किया है. यहां बंदियों ने ऐसा काम किया है, जिससे उनके जीवन में एक नई उम्मीद जागी है. वैसे तो आमतौर पर जेलों को यातना गृह माना जाता है, लेकिन इस बार फिरोजाबाद जिला कारागार में बंद कैदियों ने इतिहास रचा है.
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की 10वीं-12वीं की परीक्षाओं के नतीजों से जिला कारागार में भी खुशी की लहर दौड़ गई. सलाखों के पीछे पढ़ाई कर 39 बंदियों ने परीक्षा पास की है. इनमें 28 बंदी हाईस्कूल और 11 बंदी इंटरमीडिएट के हैं.
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पढ़ाई में जेल की सलाखें रोड़ा नहीं बन सकीं
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के नतीजे शनिवार को घोषित हो गए हैं. इन परीक्षाओं में आम छात्रों के साथ-साथ जिला कारागार के बंदियों का प्रदर्शन भी बेहतरीन रहा. इन कैदियों की पढ़ाई में जेल की सलाखें भी रोड़ा नहीं बन सकीं. हाईस्कूल की परीक्षा में पूरे 28 और इंटरमीडिएट में 12 में से 11 बंदी पास हुए हैं. जब रिजल्ट के बारे में इन बंदियों को बताया गया, तो इनके चेहरे खुशी से खिल गए.
गुल सरोवर ने तो उम्रदराज होने के बावजूद भी हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की है. सुनील ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की है. सुरेंद्र सिंह पिछले 8 साल से 302 के मामले में सजा काट रहा है. यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में केंद्रीय कारागार के बंदियों ने भी बाजी मारी.
प्रभारी जेल अधीक्षक ने बताया इस सफलता का कारण
जिला कारागार के प्रभारी जेल अधीक्षक आनंद सिंह ने बताया कि सजायाफ्ता 39 बंदियों ने परीक्षा दी थी, जिसमें हाईस्कूल की परीक्षा में शत-प्रतिशत बंदी उत्तीर्ण हुए हैं. इंटरमीडिएट में कुल बारह बंदियों ने परीक्षा दी थी, जिसमें से 11 परीक्षार्थियों ने परीक्षा उत्तीर्ण की. प्रभारी जेल अधीक्षक का मानना है कि कैदियों ने खुद ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, जेल प्रशासन ने केवल उनका हौसला बढ़ाया है.
आनंद सिंह ने कहा कि इसका सबसे बड़ा श्रेया बंदियों की लगन और मेहनत को ही जाता है. कुछ हद तक हमारे कारागार के अधिकारी और कर्मचारियों ने ऐसा माहौल तैयार किया कि बंदी शिक्षा के प्रति ज्यादा से ज्यादा समर्पित हो और अपने जीवन में नया उजाला ला सके.
कारागार में शिक्षा के लिए विभिन्न कोर्स होते रहते हैं
प्रभारी जेल अधीक्षक ने कहा कि उसी का यह मिला जुला परिणाम रहा कि हम लोग शत-प्रतिशत रिजल्ट दे सके. कारागार में इग्नू के माध्यम से शिक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के कोर्स लगातार होते रहते हैं. वहीं, इस सत्र में भी नए एडमिशन हो रहे हैं. शिक्षा एक ऐसी कड़ी है कि कोई भी व्यक्ति जो इसमें सम्मिलित होता है, भविष्य में कहीं ना कहीं उसके उपयोग में आती है. हम लोगों का उद्देश्य रहता है कि जो निरक्षर बंदी हैं उनको कम से कम साक्षर जरूर बना दिया जाए, जो पढ़े लिखे हैं और आगे पढ़ना चाहते हैं उनको प्रेरित करके हाई स्कूल या डिप्लोमा के कोर्स में सम्मिलित किया जाता है.
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