आशीष मिश्रा/हरिद्वार: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. शिवालयों में जगह-जगह अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल रही है. लोगों घरों में भी शिवजी की भक्ति पूरे मनोयोग से कर रहे हैं. सावन महीने में ही कावंड़ यात्रा निकलती है. पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के सुंदर दृश्य देखने को मिल रहे हैं. आस्था के इस संगम में हर कोई डूबकी लगाना चाहता है. लोग कांवड़ यात्रियों के स्वागत और उनकी सेवा करते नजर आते हैं. कोरोना महामारी के कारण दो साल कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी गई थी. इस वजह से इस बार शिवभक्तों में कांवड़ यात्रा को लेकर विशेष उत्साह है. हालांकि इस बार ग्रह नक्षत्रों का संयोग संयोग ऐसा बना है कि सावन की शुरुआत में ही पंचक जिसे कुछ जगहों पांचक भी कहा जाता है, लग गया है. इससे कांवड़ियों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है.


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पंचक बाद बढ़ेगी कांवड़ियों की संख्या
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो हिंदू पंचांग और शास्त्रों में पंचक काल में किसी भी कार्य की शुरुआत अशुभ मानी जाती है. यही वजह है कि अधिकतर कांवड़िए इन पांच दिनों में कांवड़ यात्रा शुरू नहीं करते हैं. ऐसे में आगामी 20 जुलाई तक कांवड़ियों की संख्या कम रहेगी. पंचक काल शुरू होते ही हरकीपैड़ी और कांवड़ यात्रा मार्ग पर कांवड़ियों की संख्या कम हो चली है. ज्योतिषाचार्यों और संतों के अनुसार 5 दिनों तक पंचक काल है. ज्योतिषाचार्या सपना के मुताबिक पंचक के बाद कांवड़ यात्रियों की संख्या में वृद्धि देखी जाएगी.


हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में पांच दिन ऐसे आते हैं जिन्हें काफी अहम या विशेष माना जाता है. इस पांच विशेष दिन को पंचक कहा जाता है. गौर करने वाली बात है कि प्रत्येक माह का पंचक अलग अलग होता है. इन पांच दिनों में किसी माह में शुभ काम करना वर्जित होता है तो किसी माह में यह मनोकामनाओं को पूरा करने वाला भी होता है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी का कहना है कि पंचक में कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं. कांवड़ तो बिल्कुल भी नहीं उठा सकते हैं. 


क्या है पंचक
ग्रह नक्षत्रों के योग से बनने वाली खगोलीय स्थिति को ज्योतिषशास्त्र में पंचक कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, उस काल खंड को पंचक कहा जाता है. आप पांच नक्षत्रों के संयोग को भी पंचक कह सकते हैं.ज्योतिष में पंचक नक्षत्रों को शुभ नक्षत्र की श्रेणी में नहीं रखा जाता है. इसे अशुभ और हानिकारक संयोग माना जाता है. इस बार सावन माह में 16 जुलाई, शनिवार की सुबह 4:20 बजे से 20 जुलाई, बुधवार की दोपहर 12:50 बजे तक पंचक रहेगा.


पंचक में भूलकर भी यह काम न करें


पंचक अवधि में खाट बनवाना शुभ नहीं माना जाता है. पंचक के दौरान पलंग, फर्नीचर की खरीदी से बचना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दुर्घटना का कारण हो सकता है.


पंचक की अवधि के दौरान जब घनिष्ठा नक्षत्र लगा हो तो घास, लकड़ी जैसी ईंधन सामग्री घर में नहीं एकत्रित करनी चाहिए.


पंचक के दौरान जिनकी मृत्यू होती है, उनकी देह का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि पंचक के दौरान शव का अन्तिम संस्कार करने से उस परिवार में पांच और मृत्यु हो सकती है.


पंचक के दौरान भूलकर भी दक्षिण दिशा की ओर सफर पर न निकलें. दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है. इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अशुभ माना गया है.


इसी तरह पंचक के दौरान खासतौर पर जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस निर्माणाधीन घर की छत नहीं बनवानी चाहिए. ज्योतिक की मान्यता के अनुसार पंचक के समय घर की छत का कार्य करवाने से घर में घृणा बढ़ती है. 


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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