Raju Srivastava Untold Story: मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव बीते करीब डेढ़ महीने से एम्स में भर्ती थे.देश के सबसे पॉपुलर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव 10 अगस्त से ही दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं. जिम में एक्सरसाइज करते वक्त उन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद लगातार डॉक्टर्स राजू की जान बचाने की कोशिश कर रहे थे.एक कॉमेडियन, टीवी सेलिब्रिटी होने के साथ ही राजू श्रीवास्तव भाजपा के नेता भी हैं.


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समाजवादी पार्टी से मिला था टिकट 
समाजवादी पार्टी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए राजू श्रीवास्तव को कानपुर से मैदान में उतारा. लेकिन 11 मार्च 2014 को श्रीवास्तव ने यह कहते हुए टिकट वापस कर दिया कि उन्हें पार्टी की स्थानीय इकाइयों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है. उसके बाद, वह 19 मार्च 2014 को भारतीय जनता पार्टी  में शामिल हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनने के लिए नामित किया.


मध्यम वर्गीय परिवार में राजू श्रीवास्तव का हुआ था जन्म 
25 दिसंबर 1963 को कानपुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में राजू श्रीवास्तव का जन्म हुआ था.उनके पिता का नाम रमेश चंद्र श्रीवास्तव था, जो खुद एक कवि थे और बलाई काका के नाम से मशहूर थे.पिता से ही राजू को भी हुनर मिला. वह बचपन से ही अच्छी मिमिक्री किया करते थे.राजू श्रीवास्तव से बचपन में ही कॉमेडियन बनने का सपना देखना शुरू कर दिया. इस सपने को पूरा करने के लिए राजू श्रीवास्तव ने कई स्टेज शो, टीवी शो में काम किया.अमिताभ बच्चन की शानदार मिमिक्री कर राजू श्रीवास्तव ने टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजू श्रीवास्तव का कार कलेक्शन छोटा सा है. उनके पास एक इनोवा कार है.राजू श्रीवास्तव की कमाई का मुख्य जरिया कॉमेडी है.उन्होंने स्टेज शो, टीवी शो के अलावा फिल्मों में भी काम किया है। कई वर्ल्ड का कॉमेडी शो, अवार्ड होस्ट और विज्ञापनों के जरिए भी राजू सालाना मोटी कमाई करते हैं.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़, राजू श्रीवास्तव लगभग 15 से 20 करोड़ रूपये की संपत्ति के मालिक हैं.


बिग बी ने भेजा था मैसेज
12 अगस्त को अमिताभ बच्चन ने राजू के लिए एक वॉइस मैसेज भेजा था. बेहोशी की हालत में ही कॉमेडियन को बिग बी का मैसेज सुनाया गया था. ताकि वह उनकी आवाज सुनकर कोई प्रतिक्रिया दें.


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ऑटो ड्राइवर से लेकर गजोधर भैया तक
उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्में 58 वर्षीय राजू श्रीवास्तव अपने आंखों में कई सपने लेकर मायानगरी मुंबई आए थे. सपनों के इस शहर में आकर राजू श्रीवास्तव के लिए चीजें आसान नहीं रही. कुछ दिन बाद जब राजू की पास पैसों की तंगी होने लगी तो जरूरतें पूरी करने के लिए वह ऑटो ड्राइवर बन गए. हालांकि इस दौरान वह स्टैंड अप कॉमेडी का काम जारी रखते थे. स्टैंड अप कॉमेडी का जन्म भारत में साफतौर से कहा जाए राजू श्रीवास्तव से हुआ है. पिता के कवि होने के नाते कॉमेडी का कला राजू श्रीवास्तव की रगो में बसती थी. ऐसे में कॉमेडियन बनने का सपना लिए राजू श्रीवास्तव तमाम परेशानियों से आगे बढ़ते रहे. फिर एक दिन ऑटो चलाते वक्त ही राजू श्रीवास्तव की किस्मत चमकी और उन्हें एक कॉमेडी शो के लिए ब्रेक मिला. इसके बाद राजू श्रीवास्तव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जिसके तहत राजू ने डीडी नेशनल के मशहूर शो टी टाइम मनोरंजन से लेकर द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज तक अपनी खास पहचान बनाई. द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज में राजू श्रीवास्तव उपविजेता रहे और इसी शो में उन्होंने अपना गजोधर भैय्या अवतार दिखाया, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया.


50 रुपये में करते थे शो
एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने बताया था. जब वह मुबंई आए तो उस समय कॉमेडियन को ज्यादा तवज्जों नहीं दी जाती थी. सिर्फ जॉनी लिवर साहब ऐसे थे, जिन्हें देखकर हमें साहस मिलता था. मैंने अपने करियर के शुरुआती दौर में काफी उतार चढ़ाव देखे. इतना ही नहीं उस मुझे एक कॉमेडी शो को करने के लिए मजह 50 रुपये मिला करते थे.


इंदिरा गांधी की नकल ने मिमिक्री का बीज बोया था
रेडियो पर वो इंदिरा गांधी की आवाज़ सुनते और उसकी नक़ल करते. घर में कोई आता, पिता कहते: ''बेटा सुनाओ ज़रा इंदिरा जी कैसे बोलती हैं'' राजू सुनाते और बदले में तारीफ़ पाते. बलई काका क्या जानते थे कि उनका ये मामूली बढ़ावा राजू के अंदर कौन-सा बीज रोप रहा है. वो बीज था मिमिक्री का और हाज़िर जवाबी का. एक दफा पिता ने कहा, "तुम लोग बिजली होने के बावजूद भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे. हम लालटेन और स्ट्रीटलाइट में बैठकर पढ़ते थे." राजू तपाक से बोल उठे, "क्यों आप दिन में पढ़ाई नहीं करते थे?" पिता थोड़ा नाराज़ हुए, फिर हंसकर चले गए. उनमें बोलने का कीड़ा ढंग से पनपा, क्रिकेट कमेंट्री से. स्कूल में मैच होता, उन्हें माइक थमा दिया जाता. वो धारदार कमेंट्री करते. दरअसल उन्हें इसलिए भी बुलाया जाता था कि वो कमेंट्री के दौरान लोगों की निजी ज़िंदगी के किस्से लपेटकर सुनाते थे, जिसमें सबको खूब मज़ा आता था.


अमिताभ और धर्मेन्द्र की शोले ने राजू की लाइफ बदल दी
एक दिन स्कूल गए तो उनका क्लासमेट संतोष कक्षा में गब्बर बना फिर रहा था. महफिल जमी हुई थी, संतोष बेल्ट जमीन में घसीटता हुआ पूछ रहा था, ''कितने आदमी थे?'' लड़के-लड़कियां ठहाका मारकर हंस रहे थे. राजू को लगा ये क्या बवाल चीज है बे! उन्होंने संतोष को पकड़ा और पूछा, ये सब कहां से सीखा? संतोष ने बताया 'शोले' फिल्म से. अब राजू को फिल्मों का कुछ अतापता नहीं था. चूंकि माता जी सख्त थीं. इससे पहले कभी कोई फिल्म देखी ही नहीं थी. उनकी माता को लगता सिनेमा देखना जैसे शराब पीना. ये बात तब की है, जब वो आठवीं क्लास में पढ़ते थे. 


राजू श्रीवास्तव की मां बोलीं- सनीमा हाल जाए से दाल, चावल, रोटी नाई मिलत
खैर, उन्होंने संतोष से पूरी जानकारी ली. पता चला टिकट खरीदकर कोई भी फिल्म देख सकता है. टिकट खरीदने के लिए चाहिए थे 1 रुपये 90 पैसे. किसी तरह 4-4 आने बचाकर पैसे जुटाए. एक दिन घर से निकले स्कूल के लिए, पहुंच गए सिनेमा हॉल. 'शोले' देखकर अमिताभ बच्चन का भयंकर असर हुआ. एक दिन पोस्टर पर ऐक्ट्रेस अमिता का नाम पढ़कर फिल्म देखने पहुंच गए. पूरी फिल्म भर अमिताभ बच्चन का इंतजार करते रहे. अमिताभ की मिमिक्री करने लगे. धीरे-धीरे ये बात आस-पड़ोस में फैल गई. जानने वाले लोग उनको अपने यहां पार्टीज में अमिताभ की मिमिक्री करने के लिए बुलाने लगे. आगे चलकर एक दौर ये भी आया, जब राजू को जूनियर अमिताभ कहा जाने लगा. पर राजू की मां को ये सब पसंद नहीं था. माता जी कहतीं, अमिताभ बच्चन रोटी नाई देत हैं. सनीमा हाल जाए से दाल, चावल, रोटी नाई मिलत है.’ हालांकि बाद में जब राजू जूनियर अमिताभ के रूप में फेमस हो गए, तो मां से मज़ाक किया करते.


मिथुन की बिना कोई फ़िल्म देखे कर डाली मिमिक्री
जब राजू मुंबई पहुंचे तो उन्होंने एक ऑर्केस्ट्रा ग्रुप जॉइन किया. उस दौर में मुंबई में कॉमेडी ग्रुप्स को ऑर्केस्ट्रा ग्रुप्स कहा जाता था. वो जिस ग्रुप में शामिल हुए, इस ग्रुप को मशहूर अदाकारा और प्रेजेंटर तबस्सुम लीड किया करती थीं. इसमें उनके साथ जॉनी लीवर और सुदेश भोसले जैसे कॉमेडियन्स थे. उनके ग्रुप की पूरी बस निकलती थी और वो लोग एक से डेढ़ महीने तक घूम-घूमकर शोज किया करते थे. ऐसे ही एक टूर पर वो लोग निकले. इसी दौरान मिथुन चक्रवर्ती की 'डिस्को डांसर रिलीज' हुई, वो फेमस हो गए. अब होता ये कि राजू स्टेज पर जाकर अलग-अलग ऐक्टर्स की मिमिक्री करते, जैसे: अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और धर्मेन्द्र. पर भीड़ से आवाp आती, "मिथुन...मिथुन का करो कुछ." कई बार ऐसा हुआ. ग्रुप में से किसी ने मिथुन को इससे पहले न देखा था और न ही आवाp सुनी थी. वो कैसे मिमिक्री कर देते. फिर जिस बस से वो गए थे, उसके ड्राइवर ने मिथुन की फिल्म देखी थी. उससे राजू ने सीखा और सीखक कर मिथुन की नकल की. उन्हें लगा कि मिथुन की आवाज तक सुनी नहीं है, लोग पसंद ही नहीं करेंगे. पर बिना कोई फिल्म देखे, राजू ने जो किया वो हिट हो गया. वंस मोर की आवाजें आने लगी. ये है राजू का जलवा.


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