हेमकान्त नौटियाल/उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक ऐसा कुंड है, जहां पर स्नान करने से त्वचा से संबंधित रोग दूर हो जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस कुंड में स्नान से यम यातना से मुक्ति मिलती है. बताया जाता है कि इस कुंड के पानी में गंधक की मात्रा काफी ज्यादा है. इस वजह से चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों की इस कुंड में स्नान के लिए भीड़ जुटती है.


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सल्फर और गन्धक से निकलता है गर्म पानी 
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग यात्रा मार्ग पर गंगनानी में गरम कुंड अपने में अलग महत्व रखता है, जब यात्री गंगोत्री यात्रा पर आते है तो गरम कुंड में स्नान जरूर करते हैं. यहां पर पुरातन काल से प्राकृतिक स्रोत पहाड़ों से सल्फर और गन्धक से तेज गर्म पानी निकलता है. इस पानी का औषधीय गुण भी है. यदि किसी व्यक्ति को चर्म रोग, दाद, खुजली की बीमारी है तो इस पानी मे स्नान करने मात्र से बीमारी दूर हो जाती है.


ऐसे हुआ था गर्म पानी का उदगम 
गंगनानी के गर्म कुंड में आजकल यात्रा सीजन में काफी चहल पहल है. गंगनानी में दो गर्म कुंड है जिस गर्म कुंड में महिलाएं स्नान करती उसे वशिष्ट कुंड और जिसमें पुरुष स्नान करते है उसे ब्यास कुंड कहते है. धार्मिक मान्यता है कि यहां पर वेद ब्यास के पिता महर्षि पराशर ने हजारों सालों तक तपस्या की थी. तब इस गर्म जल का उदगम हुआ था, जब प्रचीन काल मे गंगोत्री जाने के लिए मार्ग नहीं था. तब लोग यहीं तक आकर स्नान ध्यान करके मां गंगा का पूजा-पाठ करते थे. गंगानी गर्म कुंड से यहां के स्थानीय लोगों का यात्रा सीजन शुरू होने पर रोजगार भी चलता है. 


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