Ghazipur ka itihas: गाजीपुर शहर का नाम बदलने की मांग को लेकर सियासी जंग शुरू हो गई है. यूपी में 1991 के बाद जब दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी तो नाम बदलने की प्रथा शुरू हो गई. योगी सरकार ने नाम बदलने में कोई हिचक नहीं दिखाई. मुगलसराय रेलवे स्‍टेशन का नाम बदलने से शुरू हुई यह प्रथा शहरों तक पहुंच गई. अब गाजीपुर का नाम बदलकर व‍िश्‍वाम‍ित्र नगर करने की मांग तेज हो गई है. तो आइये जानते हैं प्राचीन नाम गाधिपुर से गाजीपुर तक बनने का इतिहास क्‍या है. 


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पहले जानें गाजीपुर का प्राचीन नाम 
गाजीपुर का प्राचीन नाम गाधिपुर था. इसे राजर्षि विश्‍वामित्र के पिता राजा गाधी ने बसाया था. बाद में मुस्लिम शासक मसूद गाजी ने इसका नाम बदलकर गाजीपुर कर दिया. वर्तमान में हम गाजीपुर को केवल पूर्वांचल के एक जिले के रूप में जानते हैं. लेकिन वैदिक काल से ही इसका अपना महत्‍व रहा है. बता दें कि उसी गाजीपुर जिले के करंडा क्षेत्र में कर्ण ऋषि के आश्रम में बालक भरत का बचपन बिता है. जहां वह शेरों से खेला करते थे. चक्रवर्ती राजा भरत की माता का नाम शकुन्तला था और पिता का नाम राजा दुष्यन्त था. राजा दुष्यन्त के मूल निवास को लेकर विवाद है लेकिन भरत के ननिहाल को लेकर कोई विवाद नहीं है. भरत का ननिहाल गाधीपुर रहा है जिसे अब गाजीपुर के नाम से जाना जाता है. 


गाजीपुर का इतिहास 
गाजीपुर के इतिहास की बात करें तो वह किसी से छिपा नहीं है. मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद भी यहीं के रहने वाले थे. इसके अलावा एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर इसी जिले का हिस्सा है. महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ यहां की मिट्टी उपजाऊ है. सबसे पहले स्वतंत्रता आंदोलन के हीरो (जिसे लोकप्रिय रूप से सिपाही आंदोलन कहा जाता है) मंगल पांडे इसी मिट्टी से ही आते हैं. 


एक बार फिर उठी नाम बदलने की मांग 
अब एक बार फिर गाजीपुर का नाम बदलने की मांग की गई है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने नाम बदलने की कवायद शुरू कर दी है. बुधवार को सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने ट्वीट कर गाजीपुर का नाम बदलने की मांग की है. हालांकि, पत्र के माध्यम से सुभासपा ने बीजेपी की पिछली सरकार में यह मांग की थी.


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