अलीगढ़ : जनपद में बकरे-बकरियों की तादात में भारी गिरावट आई है. एक पशु गणना से दूसरी पशु गणना में करीब 36000 बकरे-बकरियां की संख्‍या कम हो गई. इसकी वजह तलाशने के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian council of social science research) नई दिल्ली को जिम्‍मेदारी दी गई है. 


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अलीगढ़ विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर करेंगे शोध 
दरअसल, जनपद में लगातार कम हो रही बकरे और बकरियों की संख्‍या चिंता का विषय बनी हुई है. इसकी वजह तलाशने के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफेसर निजामुद्दीन खान को जिम्‍मेदारी सौंपी है. 


शोध के लिए 10 लाख रुपये दिए गए 
शोध के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने उन्हें 10 लाख रुपये का बजट भी जारी किया है. बताया जा रहा है कि यह शोध 2 वर्ष के अंदर पूरा कर सामाजिक विज्ञान अनुसंधान विभाग नई दिल्ली को सौपना होगा. वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफेसर निजामुद्दीन खान ने बताया कि आज के समय में बकरा और बकरी का सेवन करने वालों की तादाद बढ़ गई है. इसकी वजह से बकरे बकरियों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है.


मांसाहारी ज्‍यादा पसंद कर रहे 
प्रोफेसर खान ने कहा कि उनकी पूरी टीम इस पर शोध करेगी, लेकिन प्रथम दृष्टया बकरे और बकरियों की संख्या कम होने का कारण लोगों द्वारा सेवन करना बताया जा रहा है. प्रो. निजामुद्दीन खान ने बताया कि बकरे-बकरियों की डिमांड बढ़ गई है, इसके पीछे की वजह मांसाहारी लोग इसे ज्‍यादा पसंद कर रहे हैं. 


बकरी पालकों की संख्‍या कम हुई 
उन्‍होंने कहा कि बकरियों का जो पालन हो रहा है पूरे देश के अंदर खासतौर से अलीगढ़ जिले के अंदर वह बहुत ही पारंपरिक है. घरों में दो चार बकरियां पाली जा रही हैं और उसमें औरतें ज्यादा शौकीन हैं. वहीं गरीब परिवार आमदनी के लिए बकरी पालन करता है. क्‍योंकि बकरी पालन में खर्च नहीं आता. हालांकि, इसका बड़े स्‍तर पर पालन नहीं हो रहा है. 


डिमांड बढ़ी पर पालक कम हुए 
प्रो. खान ने बताया कि अगर बड़े स्‍तर पर बकरे-बकरियों का पालन किया जाए तो तादाद बढ़ सकती है. इनकी संख्‍या कम होने की यही वजह है कि लोग बकरियों का पालन कम कर रहे हैं और बाजार में इनकी डिमांड बढ़ गई है. ऐसे में इनकी संख्‍या अचानक कम होती जा रही है. 


बड़े पशुओं का कटान बंद हुआ 
वहीं, बकरी पालक राजकुमार सिंह ने बताया कि पहले बड़े पशुओं का कटान उत्तर प्रदेश में किया जाता था, जब से देश और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई है बड़े पशु कटना बंद हो गए हैं, इसी के चलते अब लोग बकरा और बकरियों को काट रहे हैं, बकरा बकरी कटने की वजह से इनकी संख्या में कटौती आई है. 


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