गोरखपुर को इंदौर जैसी क्लीन सिटी बनाने में जुटे हैं झाड़ू बाबा, सीएम योगी भी हैं मुरीद
Gorakhpur News : गोरखपुर के झाड़ू बाबा स्वच्छा के प्रति अलख जगाने में लगे हैं. करीब 15 साल पहले हाथों में उठाया झाड़ू आज भी थाम रखा है. यूं कहे कि अब झाड़ू लगाना इनका पैशन बन गया है. यही वजह है कि लोग इन्हें झाड़ू बाबा कहने लगे हैं.
गोरखपुर : शहर को साफ-सुथरा हर कोई देखना चाहता है, लेकिन इसे स्वच्छ रखने का जिम्मा कम ही लोग उठाते हैं. गोरखपुर के झाड़ू बाबा स्वच्छा के प्रति अलख जगाने में लगे हैं. करीब 15 साल पहले हाथों में उठाया झाड़ू आज भी थाम रखा है. यूं कहे कि अब झाड़ू लगाना इनका पैशन बन गया है. यही वजह है कि लोग इन्हें झाड़ू बाबा कहने लगे हैं.
कौन है झाड़ू बाबा
दरअसल, गोरखपुर के शास्त्री नगर निवासी महेश शुक्ल पेशे से कारोबारी हैं. महेश शाही मार्केट में कंप्यूटर और कैमरे की दुकान चलाते हैं. महेश 15 साल पहले यानी साल 2008 से झाड़ू लगा रहे हैं. वह सुबह चार बजे उठकर आठ बजे तक अलग-अलग मोहल्लों में जाकर साफ-सफाई करते हैं. महेश शुक्ला ने बताया कि वह यह काम किसी नेतागिरी और प्रसिद्धि के लिए नहीं करते बल्कि यह उनकी आदत में शामिल है.
बढ़ता गया कारवां
महेश शुक्ला ने बताया कि शुरुआत में जब झाड़ू लगाना शुरू किया तो लोगों में हंसी उड़ाई. 15 साल पहले शुरू किए गए इस मुहिम में अब तक 700 से 800 लोग जुड़ चुके हैं. उन्होंने बताया कि वह शहर को साफ-सुथरा देखना चाहते हैं. यही वजह है कि शहर को साफ करने में जो लागत आ रही है, उसका वहन भी वही कर रहे हैं.
अब तक 10 लाख रुपये खर्च कर दिए
महेश शुक्ला ने बताया कि हर दिन साफ-सफाई करने का काम चलता है. इसके लिए पूरा शेड्यूल तय किया गया है. सोमवार, मंगलवार और बुधवार को गोरखनाथ, राजेंद्र नगर और शास्त्री नगर में सफाई का काम चलता है. इसके बाद गुरुवार और रविवार को रामगढ़ ताल के इलाकों में सफाई की जाती है. अभी तक इस कार्य में 10 लाख रुपये तक खर्च हो चुके हैं. हर सप्ताह तकरीबन पांच झाड़ू का खर्च है. इसके अलावा किट पानी की बोतलें भी लगती है. अपने क्षेत्र के सफाई कर्मचारियों को सम्मानित करना भी हमारे रूटीन में शामिल है.
इसलिए जगानी पड़ी अलख
महेश शुक्ला ने बताया कि जहां वह रहते हैं, उस गली के लोग बाहर की कूड़ा फेंक दिया करते थे. जानवर आते थे कूड़ा इधर-उधर कर देते थे. कूड़ा फेंकने वाले लोगों को मना करने पर वह लड़ाई पर उतारू हो जाते थे. ऐसे में पत्नी ने गांधीजी का हवाला देते हुए कहा कि अगर सफाई करनी है तो गांधीजी से सीखो.
...तो लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया
महेश शुक्ला ने कहा कि शुरुआत में झिझक थी, तो सुबह उठकर कूड़ा साफ करना शुरू किया. जब आसपास के लोगों को पता चला कि गली के शुक्लाजी कूड़ा उठा रहे हैं तो आधे से ज्यादा लोगों ने गली में कूड़ा फेंकना बंद कर दिया. महेश शुक्ला ने कहा कि इससे मुझे प्रेरणा भी मिली और फिर मैंने एक बड़ी झाड़ू खरीदी और पूरी गली में झाड़ू लगाने लगा. इसके बाद मैंने मुख्य सड़क और पार्कों की ओर रुख किया.
प्रधानमंत्री को झाड़ू लगाते देख हौंसला बढ़ा
इस बीच केंद्र में सरकार बदल गई. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, उन्होंने स्वच्छता अभियान शुरू किया. यह देखकर मेरा हौसला बढ़ा. झिझक बिल्कुल दूर हो गई. लोगों में मेरे काम की चर्चा भी होने लगी, मंच भी मिलने लगा। मुझे आश्चर्य हुआ कि जिस काम को झिझक से शुरू किया वह मेरी प्रतिष्ठा की वजह बन रहा है. उन्होंने कहा कि फिर मैंने कार में आ सके इस हिसाब से कुछ झाडू बनवाया. ड्रेस, गलब्स, कैप और लोगों से साथ देने की अपील के लिए एक माइक सिस्टम भी खरीदा. लगातार 6 महीने तक तय समय पर वहां झाडू लगाने पहुंच जाता था.
सीएम योगी भी कर चुके हैं सम्मानित
महेश शुक्ला ने कहा कि अब सुबह की दिनचर्या झाड़ू से ही शुरू होती है. सफाई के लिहाज से श्रेष्ठतम शहरों में शुमार इंदौर भी वहां की व्यवस्था को देखने जा चुका हूं. महेश बताते हैं कि पहले वह अपने काम को एकदम खामोशी से बिना किसी प्रचार के करते थे लेकिन, अब वह अपने काम से अन्य लोगों को भी प्रेरित करने के लिए साफ-सफाई के दौरान झाड़ू के साथ फोटो पोस्ट करते हैं. स्थानीय लोग भी महेश के काम की काफी प्रशंसा करते है. मुख्यमंत्री योगी भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं.
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