फर्जीवाड़ा : पोस्ट ऑफिस में 100 पदों की भर्तियों में 95% अभ्यर्थियों की डिग्रियां फर्जी निकलीं
यूपी के गोरखपुर में ब्रांच पोस्ट मास्टर के लिए भर्तियां निकाली गई थीं. इसमें ज्यादातर अभ्यर्थियों की मार्कशीट फर्जी पाई गई हैं और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है.
विनय सिंह/गोरखपुर : गोरखपुर जिले में पोस्ट ऑफिस (Post Office Job) के 100 पदों के लिए निकली भर्तियों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है.पोस्ट ऑफिस में ब्रांच पोस्ट मास्टर (Branch Post Master Vacancy) के लिए 100 पोस्ट निकाली गई थीं और इनमें 95 फीसदी से अधिक डिग्रियां फर्जी मिली हैं. भर्ती के दौरान प्रमाणपत्रों के सत्यापन के दौरान फर्जी मार्कशीट बनवा कर ब्रांच पोस्ट मास्टर के पदों पर आवेदन करने वाले आवेदकों की दस्तावेज फर्जी मिलने पर उन पर मुकदमा दर्ज कर उन पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी का जा रही है.डाक विभाग के प्रवर डाक अधीक्षक मनीष कुमार ने कहा है कि जिन आवेदकों की डिग्रियां फर्जी मिली हैं, उन्हें पत्र लिखा गया है और उस थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के लिए भी उन जिलों के एसपी और एसएसपी को पत्र लिखकर मामले में कार्यवाही के लिए लिखा गया है.
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बिहार-झारखंड के कई भी अभ्यर्थियों की फेक मार्कशीट
डाक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार के सीवान जिला निवासी अभिषेक सिंह ने डाक विभाग में नौकरी के लिए आवेदन किया था. आवेदन में दी गई डिग्री में झारखंड बोर्ड से इंटर में 98.08 प्रतिशत अंक हासिल करने की मार्कशीट लगाई थी.जांच में लगाया गया प्रमाणपत्र फर्जी मिला.देवरिया जिला निवासी रसूल मियां ने झारखंड बोर्ड से 98 प्रतिशत अंक हासिल करने के प्रमाणपत्र के साथ डाक विभाग में नौकरी के लिए आवेदन किया था. जांच में उनका प्रमाणपत्र फर्जी निकला. इसी प्रकार करीब 95 प्रतिशत से अधिक दस्तावेज फर्जी मिले हैं.
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ब्रांच पोस्ट मास्टर के लिए आवेदन
डाक विभाग ने मई-जून माह में गोरखपुर जिले में 100 पदों पर बीपीएम ( ब्रांच पोस्ट मास्टर) पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किया था. इसमें चयन में इंटरमीडिएट में बेहतर अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को वरीयता दी जानी थी.आवेदकों को प्रमाणपत्र के साथ ऑनलाइन आवेदन करना था. नौकरी के लिए करीब 500 आवेदन आए थे. इसमें आसपास के जिलों के अलावा बिहार के भी अभ्यर्थी शामिल हुए हैं.आवेदकों में कई की मार्कशीट झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार के अलावा अन्य प्रदेशों से जारी की गई हैं. इनके अंक भी 98 फीसदी से ज्यादा थे. सत्यापन प्रक्रिया के दौरान विभाग को पता चला की ज्यादा अंक हासिल करने के आधार पर शार्ट लिस्ट किए गए 95 फीसदी से अधिक आवेदकों की मार्कशीट फर्जी हैं.