विनय सिंह/गोरखपुर:  यूपी के गोरखपुर जिले में मंगलवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी.  शाहपुर थाना क्षेत्र के घोसीपुरा निवासी राजेंद्र और उसकी दो पुत्रियों ने गरीबी से परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी. खुदकुशी की घटना सुनकर लोगों के होश उड़ गए. घटना के बाद मौके पर पहुंची शाहपुर पुलिस ने तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले राजेंद्र के पिता ओमप्रकाश पोस्टमार्टम हाउस में बैठे थे. जैसे जैसे समय गुजरता जा रहा था. लाचार पिता ओमप्रकाश की धड़कने बढ़ने लगीं.जेब में रखे 130 रुपये को निकालते देखते फिर रख लेते. उनके माथे पर चिंता की लकीरे थीं. बेटे और पौत्रियों का दाह संस्कार कैसे होगा. किससे मदद मांगे सभी नात रिश्तेदार ने मुंह मोड़ लिया था. तभी शाहपुर के थाना प्रभारी उनके लिए मसीहा बनकर सामने आए.


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ऐसे में मानवता की मिशाल पेश करते हुए शाहपुर थाना प्रभारी रणधीर मिश्रा व उनकी पुलिस टीम ने शवों को कंधा देकर श्मशान घाट पहुंचाया.परिवार की आर्थिक मदद कर दाह संस्कार भी कराया. दाह संस्कार के दौरान शमशान घाट पर सात पुलिस कर्मी मौजूद थे. शाहपुर थाने पर तैनात एसएसआई शैलेंद्र बताते हैं की श्मशान घाट पर कई शव जल रहें थे. लेकिन सबकी निगाहें उन तीनों शवों पर थी.सभी की आंखे नम हो रही थी.


मान्या की पूरी हुई अंतिम इच्छा
पुलिस को घटना स्थल पर मान्या की एक डायरी मिली थीं. उस डायरी में मान्या ने लाल पेन से लिख दी थी. 'ये जिदगी दास्तां'. इस डायरी में मान्या की अंतिम इच्छा यह थी कि उनके पाले हुए तोते पाब्लो और लिली को उड़ा दिया जाए. बुधवार की दोपहर दादा ओम प्रकाश ने पौत्री की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए बेजुबान तोतों को भी उड़ा दिए.


मान्या के लिखी डायरी में उसके परिवार के संघर्ष और गरीबी के साथ लाचारी भी पूरी तरह से दिख रही थी.मान्या और मानवी के दादा ओम प्रकाश ने कहा कि कॉलोनी के ही कुछ लोग बेटे जितेंद्र को ब्याज पर पैसे दिए थे.फिर घर में आकर उससे इसकी चर्चा करते और उनमें कहासुनी होती थी. पैसा देने वालों में अबरार, सिराज कालोनी के निवासी हैं . जितेंद्र को नूरजहां ने भी किस्त पर पैसे दिलाया था, यह भी उनकी कॉलोनी में ही रहती है.सभी पैसे के लिए बेटे से बातचीत करते थे और हिसाब-किताब पौत्री मानवी करती थी.