लखनऊ :  वह दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश सरप्लस बिजली पैदा करने वाला राज्य बन जाएगा. प्रदेश को ग्रीन हाइड्रोजन 'कॉरिडोर का एक प्रस्ताव मिला है. यूके की एचएलसी लाइफकेयर टेक्नॉलोजी ने उत्तर प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन पर बड़ा निवेश करेगी. कंपनी ने योगी सरकार को 16,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश का प्रस्ताव दिया है. पहले फेज में तत्काल 500 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. जमीन पर उतरते ही इस परियोजना में 1800 युवाओं  को प्रत्यक्ष रोजगार मिल सकेगा. शासन ने इन्वेस्ट यूपी के सीईओ को निवेशक को सहयोग के लिए निर्देशित किया है.


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इस कंपनी ने यूपी में पवन व सौर ऊर्जा आधारित 1500 मेगावाट का पॉवर प्लांट व 300 मेगावाट का इलेक्ट्रोलाइजर लगाने का प्रस्ताव दिया है. कंपनी के प्रबंध निदेशक संजय शर्मा ने बताया कि अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त को प्रस्ताव मुहैया कराया गया है. कंपनी ने निवेश प्रस्ताव के लिए  2500 एकड़ जमीन की मांग की है. उन्होंने बताया कि कंपनी ने दो वर्ष में प्रोजेक्ट के पहले चरण को चालू करने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए जल्द से जल्द जमीन की आवश्यकता है. परियोजना के लिए बुंदेलखंड में जमीन की तलाश की जा रही है.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त, 2022 में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की थी. नीति आयोग ने उम्मीद जताई है कि भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत वर्ष 2050 तक एक डॉलर प्रति किलो से भी नीचे लाई जा सकती है. 2050 तक ग्रीन हाइड्रोजन उद्योग का आकार 340 अरब डॉलर का हो जाएगा. 
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वाराणसी में नावों का संचालन भी अब डीजल और सीएनजी से की जगह ग्रीन हाइड्रोजन से मुमकिन होगा. काशी में 500 से अधिक नावों का संचालन किया जा रहा है. यह नावें सीएनजी और पीएनजी से भी संचालित की जा रहीं हैं. इसके लिए गंगा नदी में सीएनजी स्टेशन भी बनाया गया है.


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