मयूर शुक्ला/लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इंफ्लुएन्जा वायरस के ए सबटाइप (एच3एन2) का खतरा लगातार बढ़ रहा है. शहर के अस्पतालों में 30% से ज्यादा मरीज खांसी-जुकाम-बुखार के आ रहे हैं जो कि इंफ्लूएंजा वायरस के लक्षण हैं.  डॉक्टर इन्हें सामान्य वायरल का मरीज मानकर ही इलाज कर रहे हैं.  


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बढ़ रही एच3एन2 वायरस जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या
केजीएमयू में रोजाना भेजे जा रहे मरीजों के सैंपलों की जांच में करीब 30 फीसदी में वायरस मिल रहा है. सरकारी अस्पतालों में भी इससे मिलते लक्षणों वाले मरीज पहुंच रहे हैं. हालांकि, यहां एच3एन2 वायरस की जांच की सुविधा न होने से सामान्य वायरल मानकर ही इलाज किया जा रहा है. सरकारी अस्पतालों में एच3एन2 वायरस जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या इन दिनों करीब 20 फीसदी बढ़ी है. हालांकि, इन्हें ठीक होने में दो हफ्ते से ज्यादा का समय लग रहा है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि साल के इस समय में जब मौसम में बदलाव होता है, तो इन्फ्लूएंजा होने की संभावना अधिक होती है. इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है.


स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट
स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर अलर्ट जारी किया है .हालांकि अभी स्थिति सामान्य है. 95% से ज्यादा मरीज दवाइयों से ही ठीक हो रहे हैं. अस्पतालों में ज्यादा मरीज एडमिट भी नहीं हुए हैं.  लोगों को हिदायतदी जा रही है कि ऐसे लक्षण होने पर जांच जरूर कराएं और बिना डॉक्टर के सलाह के कोई भी दवाई ना लें.  


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क्या हैं लक्षण वायरस के? 
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जो मरीज इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के H3N2 स्ट्रेन से संक्रमित हैं. मरीजों को 2-3 दिनों तक तेज बुखार बना रहता है. शरीर में दर्द, सिरदर्द, गले में जलन इसके अलावा मरीज में लगातार दो हफ्ते तक खांसी होती है. सीने में जकड़न और वायरल इंफेक्शन के मामले भी देखे जा रहे हैं.  मौसम में बदलाव के समय यह वायरस चपेट में लेता है.


ऐसे करें इन्फ्लूएंजा फ्लू से अपना बचाव


बाहर निकलते समय या ऑफिस में हमेशा फेस मास्क पहनें.
खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह कवर करें.
भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
हाथों को समय-समय पर पानी और साबुन से धोते रहें.
खुद को हाइड्रेट रखें, पानी- फ्रूट जूस या अन्य पेय पदार्थ लेते रहें.
नाक और मुंह छूने से बचें.
बुखार आने की स्थिति में पैरासिटामोल लें.
पब्लिक प्लेस पर न थूकें और न ही हाथ मिलाएं.
किसी भी तरह के शारीरिक संपर्क से बचें.
डॉक्टर की सलाह लिए बगैर एंटीबायोटिक नहीं लें.