नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: आज देशभर के हनुमान मंदिरों में हनुमान जयंती की धूम है. भगवान हनुमान जी की जयंती बाराबंकी में भी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. बाराबंकी के बड़ागांव में स्थित एक 300 साल पुराने हनुमान मंदिर में  मिट्टी की मूर्ति के रूप में हनुमान जी विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 


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भक्तों की पूरी होती हैं मनोकामनाएं  
हनुमान जी का करीब 300 साल पुराना यह चमत्कारी मंदिर बाराबंकी के मसौली कस्बे में स्थित है. जानकारी के मुताबिक हनुमान जी का यह मंदिर करीब 300 साल पुराना है. मान्यता है कि भक्त यहां जो भी सच्चे मन से मांगता है, उसकी सारी मुरादें पूरी हो जाती हैं. यहां महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है. अगर कोई असाध्य बीमारी है, तो वह भी हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही ठीक हो जाती है.


मंदिर के पुजारी रामदास ने बताया कि इस मंदिर में हनुमान जी की जो मूर्ति स्थापित है, वह दूर से देखने में तो एकदम पत्थर की लगती है, लेकिन यह मूर्ति मिट्टी की बनी हुई है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि दो-तीन बार श्रृद्धालुओं ने चेष्टा की, इस मूर्ति को बदलकर पत्थर की बनवाने की लेकिन वह इसे हटा नहीं सके.


जब उन्होंने हनुमान जी की नई मूर्ति बनवाने का संकल्प लिया, और पुरानी मूर्ति हटाने की सोची तो उससे पहले ही रात में हनुमान जी ने सपने में आकर श्रृद्धालुओं को ऐसा करने से मना कर दिया. पुजारी के मुताबिक हनुमान जी ने सपने में श्रृद्धालुओं से कहा कि हमारी मूर्ति मिट्टी की ही बनी रहने दो, उसके साथ छेड़छाड़ मत करो. 


पुजारी के मुताबिक एक और श्रृद्धालु ने मूर्ति बदलवाने की कोशिश की, तो उसे हार्ट अटैक पड़ गया. जिसके बाद उसने मूर्ति बदलवाने का मन बदल दिया. शुरू से ही यह मूर्ति मिट्टी की है और इसे कोई आजतक बदल नहीं सका. केवल रंग रोगन ही हो सका. पुजारी ने बताया कि जिसके संतान नहीं हो रही थी, उन्हें हनुमान जी के प्रताप से पुत्र की प्राप्ति हुई है. इसके अलावा आसाध्य रोगों से ग्रसित लोगों ने भी यहां आकर अर्जी लगाई और उन्हें भी फायदा हुआ है.