इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें वर्ष 2016 में बने प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम के प्रावधान अभी तक लागू नहीं होने का सवाल उठाया गया है. कोर्ट ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए अपर मु्ख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने को कहा है. संदेश फाउंडेशन के संस्थापक और आरटीआई एक्टिविस्ट संदीप पांडेय की याचिका पर कोर्ट ने यह नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

याचिका में कहा गया है कि यूपी में न तो प्रतिपूरक वनीकरण निधि की स्थापना की गई है. किसी विकास कार्य के लिए पेड़ों की कटाई करने वाली एजेंसी इसकी एवज में कोई पैसे जमा कराती है.लेकिन इस कोष का सही तरीके से इस्तेमाल भी नहीं हुआ है. हाईकोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए पूछा है कि क्या प्रतिपूरक वनीकरण निधि की स्थापना की गई है. क्या इस कोष के संचालन के लिए किसी समिति का गठन किया गया है. क्या वन निधि के इस्तेमाल के लिए कोई नीति तैयार की गई है.हाईकोर्ट इस मामले में 18 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगा.  न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय एवं सौरभ श्रीवास्तव जी कि लखनऊ बेंच ने इस मामले में सुनवाई की.


जनहित याचिका पर पर्यावरण वन और जलवायु, परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश वन मंत्रालय, राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (यूपी राज्य कैम्पा), प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी वन प्रभाग उन्नाव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) उत्तर प्रदेश लखनऊ, मुख्य वन्य जीव वार्डन उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ के खिलाफ याचिका को मंजूर कर लिया बल्कि अपर मुख्य सचिव/ प्रधान सचिव उत्तर प्रदेश को अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के निर्देश भी दिए गए हैं.


याचिका में कहा गया है कि लाखों छायादार वृक्षों को काटा जा रहा है परन्तु उससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इस सम्बन्ध में पहले से बनाये गए नियम कानून का सरेआम उल्लंघन हो रहा है.जिस तरह से देश में वन क्षेत्र में कमी आ रही है यह अत्यंत चिंताजनक है. जबकि सरकार के पास इस मद में खर्च धन की कोई कमी नहीं है.