लखनऊ : माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद को शनिवार की रात गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया. प्रयागराज में रूटीन चेकअप के लिए जाते समय दोनों को गोली मार दी गई जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. अतीक अहमद की जब बात होती है तो इस बात का जिक्र भी आता है कि एक समय ऐसा भी था जब उसका खौफ हुआ करता था. अतीक अहमद के खिलाफ एक, दो या दस नहीं बल्कि 101 केस दर्ज थे. उस पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और जबरन वसूली जैसे केस दर्ज थे. 44 साल पहले अपने ही गुरु चांद बाबा की हत्या से उसने गुनाहों की दुनिया में कदम रखा था. 


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वहीं उसके भाई अशरफ की बात करें तो उसके खिलाफ 52 केस दर्ज थे. इतना ही नहीं अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन के खिलाफ कुल 4 केस दर्ज कराए गए हैं. अगर बेटों की बात करें तो उसके तीन बेटों के खिलाफ भी केस दर्ज करवाए गए हैं। अतीक के बेटे अली अहमद की बात करें तो उस पर 6 केस दर्ज है तो वहीं उमर के खिलाफ 2 केस दर्ज किए गए हैं और एनकाउंटर में मारे गए असद अहमद पर 1 केस दर्ज था. 


अतीक का पुराना दुश्मन था उमेश
अतीक अहमद का पुराना दुश्मन उमेश पाल था. साल 2005 में जब राजू पाल की हत्या हुई तब चश्मदीद गवाह उमेश पाल ही था. उमेश पाल को अतीक अहमद ने कई बार कहा कि वो गवाही न दे लेकिन उमेश पाल हर बार मना करता रहा. साल 2006 में उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया और फिर साल 2007 में दोनों भाइयों अतीक अहमद और अशरफ समेत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया. तब से ही इन दोनों के बीच दुश्मनी चल रही थी. 


कुख्यात था अतीक 
अतीक अहमद  गुजरात की साबरमती सेंट्रल जेल में साल 2019 से ही बंद था. अतीक अहमद पूरे प्रदेश में कुख्यात था. माफिया डॉन पर एक्शन करने की बात करें तो प्रदेश में योगी सरकार और पुलिस ने समय समय पर पिछले छह सालों में अतीक के गिरोह के अनेक सदस्यों को धर दबोचा है. लेकिन पहले राजू पाल हत्याकांड और फिर उमेश पाल हत्याकांड, ये घटनाएं अतीक और उसके बेटे असद के लिए काल बन गईं. 


हिस्ट्रीशीटर अतीक का इतिहास
शहर के खुल्दाबाद थाने में रिकॉर्ड है उसमें अतीक अहमद का नाम हिस्ट्रीशीटर नंबर 39ए से दर्ज था. अतीक अहमद का इतिहास कसारी मसरी गांव से क्राइम से शुरू होकर राजनीति की दुनिया तक जाता है. अतीक का पूरा परिवार पैतृक कसारी मसरी गांव छोड़कर चकिया चला गया तो वहीं दसवीं कक्षा भी पूरी करने वाले अतीक ने  चकिया में ही अपने पहले अपराध को अंजाम दिया और उसने अपना गिरोह भी बना लिया जिसमें गांव के कई लुटेरे शामिल थे. 


पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि साल 1979 में अतीक के खिलाफ पहला मर्डर का केस दर्ज किया गया. यह केस खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन में ही दर्ज करवाया गया था. आगे चलकर उसने कई अपराध धड़ल्ले से अंजाम दिए जैसे कि जबरन वसूली और जमीन हड़पने जैसे अपराध. यही तांगे वाले का बेटा आगे माफिया, एमएलए, एमपी बन बैठा था. 


अपराधों की पूरी लिस्ट 
साल 1989 में चांद बाबा का अंत
साल 1979 में अतीक पर हत्या का पहला केस दर्ज होते ही उसका दहशत फैल गया. जिस गुरु ने अतीक का हाथ पकड़कर उसे राजनीति में चलना सिखाया उसी गुरु को उसने रास्ते से हटा दिया। तब शौक इलाही उर्फ चांद बाबा का सिक्का चलता था और इसे खत्म करने के लिए अतीक को आगे किया गया. साल 1989 में शहर पश्चिमी से अतीक ने निर्दलीय प्रत्याशी उठकर चांद बाबा को मात दे दी. ऐसे आरोप लगते हैं कि विधायक बनने के बाद उसे आगे बढ़ने की ललक बढ़ती गई. आरोप है कि ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी रुकावट चांद बाबा था जिसे गोली-बम से मारवा दिया गया. 


साल 1994 में पार्षद की हत्या 
साल 1994 सभासद अशफाक कुन्नू का 1994 में हत्या की गई. इस मामले में अतीक और अशरफ का नाम सामने आया लेकिन तब दबदबे के कारण अतीक पर कोई हाथ नहीं डाल पाया था. लेकिन साल 1999 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार थी एसपी सिटी लालजी शुक्ला ने कार्रवाई करते हुए अशरफ की अशफाक कुन्नू हत्याकांड में गिरफ्तारी की थी.


साल 2003 में भाजपा नेता की हत्या 
अतीक के चकिया वाले घर के सामने बीजेपी नेता अशरफ की गोली मारकर मौत के घाट उतारा गया. आरोप लगा कि शव लेकर अतीक के गुर्गे भाग निकले. कहते हैं कि भाजपा के साथ जुड़कर अशरफ अतीक को जिस तरह से चुनौती दिया करता था वह अतीक को पसंद नहीं था. 


साल 2005 में राजू पाल की हत्या 
अतीक अहमद सपा के टिकट पर साल 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट जीत गया. ऐसे में उसे इलाहाबाद पश्चिम की MLA सीट छोड़नी पड़ी. इस सीट पर सपा ने अतीक के भाई अशरफ को टिकट दिया और इसी सीट से राजू पाल को बसपा ने खड़ा किया. राजू के जीतने के बाद अतीक को लगा कोई उसे टक्कर देने लगा है. 2005 में राजू पाल की हत्या की गई जिसका आरोपी अतीक अहमद और अशरफ को आरोपी बनाया गया था. 


साल 2018 में बिल्डर से जबरन साइन करवाया गया
आरोप लगते हैं कि जब 2018 में अतीक देवरिया जेल में कैद था तब  उसी के कहने पर लखनऊ देवरिया जेल बिल्डर मोहित जायसवाल को लाया गया और उसकी करोड़ों की संपत्ति हथियाने के मकसद से उसे पीट पीटकर जबरन उससे स्टांप पेपर पर साइन करा लिया गया. अतीक के बड़े बेटे उमर के खिलाफ इस केस में मामला दर्द कर उस पर दो लाख रुपये का इनाम रख दिया गया. 


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