कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में युवक को नौकरी देने के नाम पर ले जाकर दिल्ली में यातनाएं दी जाती थीं. उससे अंधा कर भीख मांगवाने का मामला सामने आया है. जिसके बाद शहर से लापता हुए लोगों के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं. शहर से गायब हुए ऐसे बच्चे जिनके रिपोर्ट पुलिस के पास गुमशुदगी की दर्ज है. इसके आंकड़े डराने बाले हैं. आशंका जताई जा रही है कि कहीं उनका हाल भी सुरेश मांझी की तरह तो नहीं किया गया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मामले में पुलिस कमिश्नर ने दी जानकारी 
आपको बता दें कि कानपुर पुलिस के पास जो आंकड़े हैं, उसके मुताबिक पिछले 7 सालों में 102 बच्चे ऐसे हैं जिनके गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई, लेकिन सुराग आज तक नहीं मिल सका. वहीं दूसरी तरफ साल 2022 के आंकड़ों की बात की करें, तो इस साल 179 बच्चे लापता हुए. इनमें से 22 बच्चों का अबतक पता नहीं चल सका है. इन 22 बच्चों में 12 लड़कियां और 10 लड़के हैं. उनका कुछ भी पता नहीं चल सका. इस मामले में पुलिस कमिश्नर कानपुर ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जो भी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होती है, वह फाइल बंद नहीं की जाती. पुलिस की तरफ से प्रयास जारी रहता है.


गुमशुदगी की ये है डिटेल रिपोर्ट
आपको बता दें कि कानपुर शहर में गुमशुदगी की रिपोर्ट और लापता बच्चों के आंकड़ों की बात करें, तो यहां हर साल औसतन 14 बच्चे गायब हो रहे हैं. जिनका पता नहीं लगाया जा सका है. साल 2016 में 112 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 100 बच्चे तो वापस आ गए. 12 बच्चे आज तक गायब हैं, 2017 में 84 बच्चे लापता हुए, जिसमें 78 वापस आ गए और 6 गायब हैं. वहीं, साल 2018 में 131 लापता हुए, जिनमें 13 आज भी गायब हैं. 2019 में 160 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 20 बच्चों का सुराग आज तक नहीं रख सका. 2020 में 80 लापता हुए 21 का पता नहीं चल सका. वहीं, 2021 में 152 लापता हुए 13 बच्चे आज तक नहीं पता चले. इस साल भी 22 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका.


सुरेश मांझी का प्रकरण सामने आने के बाद चर्चा तेज
आपको बता दें कि पिछले 7 सालों के आंकड़े यह बयां कर रहे हैं कि लापता हुए यह बच्चे या तो हादसों को शिकार हुए या फिर किसी गिरोह में फंस गए. बच्चों के गायब होने के मामले में पुलिस को भी संजीदगी से काम करना होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चा लापता होने के बाद पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर अलग-अलग एंगल से जांच करने में जुटती है. सबसे पहले वह अपहरण के शक पर फोन का इंतजार करने लगती है. जिसका खामियाजा कई बार बच्चों को जान गवा कर भुगतना पड़ता है. वहीं, सुरेश मांझी का प्रकरण सामने आने के बाद लापता हुए बच्चों को जोड़कर देखा जाने लगा है. बहरहाल, पुलिस सुरेश मांझी को अपंग बना भीख मंगवाने वालों की तलाश कर रही है.


WATCH LIVE TV