Allahabad High Court  on gangrape case: गैंगरेप मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला सामने आया है.  इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि गैंगरेप में सहयोग करने वाली महिला भी दोषी हो सकती है. गैंगरेप मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला है.


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कोर्ट ने कहा कि महिला भले ही रेप नहीं कर सकती है, लेकिन अपराध में सहयोग की दोषी हो सकती है.आरोपी महिला को भी 20 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है.


कोर्ट ने कहा यह कहना ठीक नहीं कि महिला रेप नहीं कर सकती इस लिए उसे गैंगरेप केस में अभियुक्त नहीं बनाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कोर्ट ने कहा कि महिला गैंगरेप में अगर सहयोगी है तो वह भी अन्य अभियुक्तों की तरह सजा की हकदार है.जस्टिस शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने सुनीता पाण्डेय की याचिका पर ये आदेश दिया.


कोर्ट ने इस टिप्पणी के आधार पर सिद्धार्थनगर के थाना बांसी में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर राहत देने से मना कर दिया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.


याची की ओर से कहा गया कि वह महिला है और वह रेप नहीं कर सकती. उसे ममाले में फंसाया गया है. मामले में पीड़ित के सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के बयान के तहत याची का नाम आया था. निचली अदालत ने ट्रायल का सामना करने का आदेश सुनाया. जिसके बाद याची ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि महिला के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है अगर कोई महिला सामूहिक रूप से दुष्कर्म में शामिल है तो साथ ही उसे सजा भी दी जा सकती है. उसे इस अपराध के दायरे से कतई बाहर नहीं रखा जा सकता. 


इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले के दूरगामी असर अन्य राज्यों के फैसलों में देखने को मिल सकते हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी सामूहिक दुष्कर्म कांड को लेकर तमाम नजीर देने वाले फैसले दिए हैं.


 


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