Manilal Patidar : यूपी कैडर के 2014 बैच के आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार को सेवा से बर्खास्‍त कर दिया गया है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने यूपी सरकार की सिफारिश पर पाटीदार को आईपीएस सेवा से बर्खास्‍त कर दिया है. मणिलाल पाटीदार महोबा के क्रसर व्‍यापारी की मौत मामले में जेल में बंद है. तो आइये जानते हैं आईपीएस पाटीदार चंद वर्षों की नौकरी के बाद कैसे सलाखों के पीछे पहुंच गए.   


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2014 बैच का अफसर 
राजस्‍थान के डूंगरपुर निवासी मणिलाल पाटीदार साल 2014 में आईपीएस में चयनित हुआ. पाटीदार को यूपी कैडर मिला. आरोप है कि साल 2020 में पाटीदार के खिलाफ महोबा के क्रसर व्यापारी को आत्महत्या के लिए उकसाने समेत भ्रष्टाचार के अन्य मामले दर्ज हुए. पिछले साल अक्‍टूबर में मणिलाल पाटीदार ने कोर्ट में सरेंडर किया था, उसे जमानत भी मिल गई थी. इससे पहले वह दो साल फरार था. अब आईपीएस की लिस्‍ट में से उसका नाम हटा दिया गया है. पैसे की हवस ने पूरे आईपीएस संवर्ग को ही शर्मसार कर दिया है. 


आईपीएस सूची से नाम हटा  
उत्तर प्रदेश में बीते तीन दशक में यह पहला मामला है, जब किसी आईपीएस अधिकारी को सेवा से बर्खास्त किया गया है. जून 2022 में इसको बर्खास्त करने की सिफारिश राज्य सरकार ने किया था, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद 29 दिसंबर 2022 को सेवा से बर्खास्त कर दिया. हांलाकि, पुलिस महकमा इस अधिकारी की करतूतों को ढकता रहा. अब इसका नाम आईपीएस अधिकारियों की सूची से भी हटा दिया गया है. 


50 करोड़ से अधिक की संपत्ति 
मणिलाल पाटीदार पर आरोप है कि वह बुंदेलखंड एक्सप्रेस बनाने के काम में भी रोड़ा अटकाया और वसूली किया. इसके अलावा वसूली में जो भी पुलिसकर्मी बाधा बनता उसका वह ट्रांसफर कर देता. विभागीय जांच में पाटीदार के खिलाफ आय से अधिक जांच में विजिलेंस जांच भी हुई है. पाटीदार के नाम पर 50 करोड़ से अधिक संपत्ति की जानकारी जुटाई. कई संपत्तियां उसने अपने रिश्‍तेदारों के नाम कर रखी है. 


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