लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब प्रोफेशनल एजुकेशन हासिल करने के बाद युवाओं को नौकरी के लिए दर-दर की ठोकर नहीं खानी पड़ेगी. जिस आईटीआई (ITI Job Placement) से उन्होंने ट्रेनिंग पूरी की होगी, वही उन्हें रोजगार के मौके दिलाएगी. यदि आईटीआई तीन साल में ट्रेनिंग पाने वाले 70 फीसदी छात्रों का प्लेसमेंट नहीं कर पाई तो उसकी मान्यता भी खत्म होगी. नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (एनसीवीटी) ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं.


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नई गाइडलाइंस के मुताबिक जहां स्टूडेंट ट्रेनिंग ले रहे होंगे, उनके प्लेसमेंट की जवाबदेही भी उन्हीं संस्थानों की होगी. आईटीआई को अधिकतम 30 छात्रों वाले बैच में 21 स्टूडेंट का प्लेसमेंट अनिवार्य रूप से कराना होगा. ऐसा इसलिए किया जा रहा जिसे यह संस्थान प्लेसमेंट ड्राइव के लिए कंपनियों और इंडस्ट्री के संपर्क में रहें.


प्लेसमेंट सेल को करना होगा एक्टिव


नई गाइडलाइंस के कई प्वाइंट स्टूडेंट और उनकी नौकरियों के पक्ष में हैं. यदि यह ठीक तरह से क्रियान्वित हो जाते हैं तो आईटीआई में प्लेसमेंट सेल नये सिरे से एक्टिव हो जाएंगी. इससे बड़ी संख्या में कंपनियां यहां पहुंचेंगी. दरअसल अभी बहुत सी आईटीआई सिर्फ ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित करने तक सीमित हैं. ऐसे में ट्रेनिंग प्रोग्राम और इंडस्ट्री के बीच एक गैप भी आ रहा है. ऐसे में आईटीआई को रोजगार मेला आदि का आयोजन कर फैक्ट्रियों और कंपनियों के साथ एक सेतु विकसित करना होगा. 


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केंद्र सरकार भी आईटीआई के जरिए कौशल विकास को बढ़ावा दे रही है. इसी क्रम में 2015 में राष्ट्रीय कौशल विकास नीति के अंतर्गत आईटीआई को ग्रेडिंग भी प्रदान की जा रही है. इससे आईटीआई को विश्व स्तरीय संस्थान बनने का मौका भी मिलेगा. बताया जा रहा है कि नई गाइडलाइंस में आईटीआई को इनोवेशन और डिजिटल व्यवस्थाओं पर जोर देने को कहा गया है.


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