जितेंद्र सोनी/जालौन: उत्तर प्रदेश के जालौन (Jalaun News) में स्थित लंका मीनार (Jalaun Lanka Minar) रावण को समर्पित है. इस मीनार के बार यह धारणा प्रचलित है कि इस मीनार पर चढ़ने वाले भाई-बहन पति-पत्नी बन जाते हैं. इसके चलते यहां भाई-बहन के एक साथ जाने पर मनाही है. आपको यह बात भले ही अजीबोगरीब लग रही हो, मगर स्थानीय लोग सालों से इस मान्यता को मानते आ रहे है. दिल्ली की कुतुबमीनार के बाद इसे सबसे ऊंची मीनार कहा जाता है. इसका निर्माण कराने वाले शख्स को रावण से इतना लगाव था कि उसने लंका नाम से ही इस मीनार का निर्माण कराया.


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मीनार के निर्माण की दिलचस्प कहानी
लंका मीनार कालपी में स्थित है. इसके निर्माण की कहानी बड़ी दिलचस्प है. जानकारी के मुताबिक यह मीनार सन् 1857 में मथुरा प्रसाद नामक व्यक्ति ने बनवाई थी. मथुरा प्रसाद एक कलाकर था और ज्यादातर रावण का किरदार निभाता था. ऐसा कहा जाता है कि रावण की भूमिका ने उस पर ऐसी छाप छोड़ी कि उसने रावण की याद में यह मीनार बनवा डाली. लंका मीनार को बनने में 20 साल का समय लगा था. टॉवर की ऊंचाई 210 फीट है. इस निर्माण में उस समय लगभग 2 लाख रूपए का खर्चा आया था.


मीनार में रावण के पूरे परिवार के चित्र हैं
इस मीनार में रावण के पूरे परिवार के चित्र बनाए गए हैं. यहां कुंभकरण और मेघनाथ की बड़ी मूर्तियां स्थापित की गई है. कुंभकरण की मूर्ती 100 फीट ऊंची है तो मेघनाथ की मूर्ती 65 फीट ऊंची है. यहां आप भगवान शिव के साथ-साथ चित्रगुप्त की मूर्ति को भी देख सकते हैं. यहां 180 फीट लंबी नाग देवता की मूर्ती को भी स्थापित किया गया है.


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लंका मीनार को लेकर मान्यता


लंका मीनार को लेकर मान्यता है कि यहां भाई-बहन एक साथ ऊपर नहीं जा सकते हैं. दरअसल मीनार के ऊपर जाने के लिए सात परिक्रमाओं को पूरा करना पड़ता है, जिसे भाई-बहन द्वारा नहीं किया जा सकता. यही कारण है कि मीनार के ऊपर एक साथ भाई-बहनों का जाना मना है. सालों से लोग इसे मानते आ रहे हैं. 


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