Lucknow News: मुस्लिम लड़कियों के लिए इस्लामिक स्कूल खुलेंगे, जमीयत उलेमा हिंद ने कहा, लड़कियों को बुरे असर से है बचाना
Jamiat ulema e hind Meeting in Lucknow: लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जमीयत उलेमा हिंद की बड़ी मीटिंग हुई है. इसमें संगठन ने कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा की है.
लखनऊ: जमीयत उलमा हिन्द की गुरुवार को राजधानी लखनऊ में बड़ी बैठक हुई. मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई. इसमें सबसे अहम था कि कक्षा आठ के बाद मुस्लिम लड़कियों को अलग स्कूलों में पढ़ाया जाए, ताकि उन्हें मॉडर्न स्कूलों के बुरे असर से बचाया जा सके.
कार्यकर्ताओं से अपील की
जमीयत उलेमा हिंद ने कहा है कि मुस्लिम समाज के सुधार के लिए संघर्ष करना इस समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है. प्रत्येक इकाई अपने दायरे में समाज सुधार कार्यक्रम को एक आंदोलन के सामन मोहल्ले अपनी बात पहुंचाने का भरसक प्रयास करे.
साम्प्रदायिकता ने अतीत में देश को नुकसान पहुंचाया है और उसकी बर्बादी आज भी हमारे सामने हैं: अत: इसका हर स्तर पर विरोध किया जाना चाहिए तथा किसी भी वर्ग द्वारा फैलाये गये साम्प्रदायिकता का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करना चाहिए. यदि सम्प्रदायिक तत्व मुसलमान को शिकार बनाते हैं तो जितना हो सके अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें और सभी मुस्लिमों को सलाह दें कि वे भावनाओं पर नियंत्रण रखें.
इन मुद्दों पर रहा जोर
मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की जाए, जिनमें नर्सरी से मिडिल और हाई स्कूल तक इस्लामी माहौल में शिक्षा की उत्कृष्ट व्यवस्था हो. इस ओर जमीयत से जुड़े उलमा विशेष ध्यान दें और अपनी देखरेख में आधुनिक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना कराएं.
उलेमाओं ने प्रस्ताव दिया कि देश की वर्तमान स्थिति में विशेष रूप मुस्लिम लड़कियों के लिए आठवीं कक्षा के बाद अलग शिक्षण संस्थान स्थापित किए जाएं, ताकि शिक्षा के बुरे प्रभाव से सुरक्षित रह सके, हर मुस्लिम आबादी में इस प्रकार के संस्थान की स्थापित करना, दीन इमाम धर्म की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है.
संगठन ने मदरसों से अनुरोध किया कि वे सरकारी नियमों के अनुसार संस्थान चलाएं. किसी ट्रस्ट या सोसायटी द्वारा पंजीकरण कराकर कोष को कानूनी रूप से मजबूत किया जाए. शिक्षा विभाग से अनुमोदन प्राप्त हो तो अधिक सुविधाएं मिल सकेगी.
स्थानीय लोगों को आकर्षित करेंगे
उलेमाओं ने बैठक में कहा, देश के बदलते माहौल में मुस्लिमों के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी हो गया है. हर क्षेत्र अस्पतालों और हॉस्टलों के लिए प्रयासरत और स्थानीय निवासियों को अपनी ओर आकर्षित करना, जमीयत कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बन गई है.
मतदाता जागरुकता कार्यक्रम संचालित करेंगे
संगठन ने कहा, वोट जागरूकता अभियानों के माध्यम से मुस्लिम पुरुषों एवं महिलाओं को मतदान के महत्व के बारे में बताना है. नए नाम मतदाता सूची में दर्ज करवाना और फिर चुनाव के दिन उन्हें सही मार्गदर्शन देकर वोट डलवाना आपकी राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय जिम्मेदारी है. प्रत्येक इकाई में एक समिति बनाकर यह कार्य करें.
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