अजीत सिंह/जौनपुर: जौनपुर के एक युवा किसान ने पूर्वांचल में रासायनिक खादों का इस्तेमाल खत्म करने को लेकर पहल की है. यह किसान खुद जैविक खाद तैयार कर अपने खेतों में इस्तेमाल करता है. साथ ही आसपास के सैकड़ों किसानों को जैविक खाद बनाने की विधि बताकर खेतों में प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. किसान का दावा है कि जैविक खाद के प्रयोग से फसलों की पैदावार तीन गुना बढ़ जाती है. साथ में जमीन और लोगों के स्वास्थ्य ठीक रहता है.


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जौनपुर जिले के धर्मापुर ब्लाक के सरैया गांव निवासी गुलाब मौर्या ने साल 2001 में एक किसान मेले में जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया. उसके बाद उसने कुछ केचुए खरीदकर घर में जैविक खाद बनाना शुरू किया. खाद तैयार होने के बाद अपने खेत के कुछ भाग में प्रयोग किया तो आश्चर्यजनक पैदावार हुई. उसके बाद से भारी मात्रा में जैविक खाद तैयार करके अपने पूरे खेत में प्रयोग करना शुरू कर दिया है. जिसके कारण उसके खेत में पैदा होने वाली सब्जी फल और अनाज का आकार काफी बड़ा और स्वादिष्ट होता है.


अब गुलाब मौर्या आस पास के सैकड़ों किसानो को जैविक खाद प्रयोग करने के लिए जागरूक कर रहा है. वह फ्री में किसानों को जैविक खाद बनाने की तरीका बता रहा है. गुलाब ने बताया कि हम जैविक खाद अपने खेतों में प्रयोग करते ही हैं. साथ ही बाजारों में खाद बेचकर काफी मुनाफा कमा लेते हैं. उसने दावा किया कि इस जैविक खाद को प्रयोग करने से जहां हमारे खेतो की सेहत अच्छी होती है. वहीं पशुपालन को भी बढ़ावा मिलता है.


गांव के किसान सिद्धांत ने बताया कि केंचुए के द्वारा जो खाद तैयार की जाती है, उसे जैविक खाद कहते हैं. हम लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य है कि सभी लोग इसका प्रयोग करें, इससे अच्छी खेती होती है. अन्य किसानों से भी जैविक खाद का प्रयोग करने की बात की गई है, लोग इसको ले भी जाते हैं. जैविक खाद के बारे में चंद्रभान गुप्ता ने बताया कि इससे इससे खेती अच्छी होती है. आम, कटहल, पपीता, फूल आदि की खेती जैविक खाद द्वारा की जाती है. हमे इसका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए.