अजीत सिंह/जौनपुर: भू माफियाओं व अवैध कब्जेदारों पर कहर बरपाने वाले और जनता के साथ न्याय करने वाले ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल का कानपुर तबादला हो गया है. महज एक वर्ष दस दिन के कार्यकाल में वे इतने लोकप्रिय हो गये कि उनके ट्रांसफर होने के बाद लगातार उनके विदाई का दौर जारी है. कर्मचारी, अधिवक्ता, शिक्षाजगत से जुड़े लोगों से लेकर हर तबका समारोह आयोजित करके बाजे गाजे के साथ उन्हे भावभीनी विदाई दे रहा है.


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ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल को दूल्हे की तरह दी गई विदाई 
सोमवार को मोहम्मद हसन पीजी कालेज परिवार ने कॉलेज के सौदागर हाल में समारोह आयोजित करके उनकी भव्य विदाई की गई. उसके बाद कलेक्ट्रेट परिसर स्थित प्रेक्षा गृह में तहसील कर्मचारियों व अधिवक्ताओं ने विदाई समारोह में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के कार्यों का सराहना करते हुए उन्हे भब्य विदाई दी गई. जाते समय उन्हे फूल मालाओं से लाद दिया गया और गांजे बाजे के साथ विदा किया गया. बैण्ड बाजे की आवाज सुनकर एक बानगी लोगों ने सोचा शायद किसी की बारात जा रही, लेकिन जब लोगों को पता चला कि यह बाजा एसडीएम सदर रहे ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल के सम्मान में बज रहा है तब अन्य लोग भी इस विदाई समारोह में शामिल हो गए. 


कौन हैं हिमांशू नागपाल?
2019 बैच के आईएएस अधिकारी हिमांशु नागपाल एक साल पहले ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पदभार को ग्रहण किया था. मूलरुप से हरियाणा के हिसार जिले के रहने वाले हिमांशु नागपाल इससे पहले सहारनपुर में एसडीएम रह चुके हैं. जौनपुर में पदभार ग्रहण करने के बाद ही हिमांशु नागपाल एक्शन मोड में आ गए थे. जौनपुर के भू माफियाओं पर काल बनकर बरसे थे. जौनपुर जिले में अरबों रुपये की सरकारी और निजी जमीनों को अवैध कब्जों से मुक्त कराया.



मई महीने में उन्होंने जौनपुर में भू राजस्व मामलों के निसतारण में नया कीर्तिमान स्थापित किया था. उन्होंने राजस्व संहिता 2006 की धारा 76 के अंतर्गत काफी वर्षों से लंबित असंक्रमणीय भूमि को अभियान चलाकर संक्रमणीय किया था, जोकि कई वर्षों से अटके हुए थे. उनके कार्रशैली को देखकर जिले के अन्य तहसिलों के अधिकारियों की भी रफ्तार बढ़ गई थी. 


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मरीज बनकर पहुंचे जौनपुर जिला अस्पताल 
कुछ समय पहले ही ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल जौनपुर जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए ड्राइवर और अर्दली के साथ खुद मरीज बनकर पहुंच गए थे. इस दौरान ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने खुद को टाइफाइड से ग्रसित होने की दवा लेने पहुंचे थे, जबकि अपने अर्दली श्यामवीर के आंख में दिक्कत और ड्राइबर राजीव को हड्डी संबंधित दिक्कत होने का पर्चा बना लिए. इसके बाद सभी कतार में खड़े हो गए. जिन्हें कोई पहचान भी नहीं पाया. उन्होंने अपने गले में गमछा और मुंह को मास्क से ढककर पर्ची कटाई थी. इसके बाद वो डॉक्टर के पास पहुंच गए. उनके मरीज बनकर निरीक्षण करने की खबर किसी भी चिकित्सक को नहीं लगी. इस दौरान उन्होंने हेल्प डेस्क, ओपीडी और कई वार्ड का जायजा लिया. चिकित्सक ने उन्हें एक ही दवा के लिए दो पर्ची दी, जिसमें एक ही दवाएं लिखी गई थी. इस पर वे छोटी पर्ची को अपने पास रख लिए और मुख्य पर्ची को लेकर दवा लेने पहुंचे. जहां छोटी पर्ची न होने पर उनके साथ व्यवहार ठीक नहीं किया गया था. निरीक्षण में जो भी चीजें सामने आई वो डीएम को रिपोर्ट बनाकर भेज दिया था. 


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