कानपुर: कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) ने भारत में भी दस्तक दे दी है. राजधानी दिल्ली में ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित मरीज मिले हैं. लोगों के मन में यह प्रश्न उठने लगा है कि क्या बीते दो वर्षों की तरह 2022 भी कोरोना की चपेट में रहेगा? क्या कोरोना की तीसरी लहर भारत में भी दस्तक देगी. पद्मश्री से सम्मानित आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग के फैकल्टी प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने अपनी स्टडी के आधार पर दावा किया है कि भारत में थर्ड कोरोना वेव आगामी जनवरी में दस्तक दे सकती है.


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जनवरी में थर्ड वेव की दस्तक, फरवरी में पीक
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अपने गणीतीय मॉडल 'सूत्र' के जरिए मणीन्द्र अग्रवाल कोरोना की पहली और दूसरी लहर को लेकर भी करीब करीब सटीक आंकड़े प्रस्तुत कर चुके हैं. उनकी मानें तो कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत में आ चुका है. कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की अपेक्षा ओमिक्रॉन वैरिएंट काफी तेजी से फैल रहा है. प्रो. अग्रवाल ने अपने आकलन में बताया है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर अगले वर्ष की शुरुआत में अपने चरम पर होगी. जनवरी से इसका प्रभाव दिखना शुरू होगा और फरवरी में पीक आएगा.


मास वैक्सीनेशन से थर्ड वेव कमजारे पड़ जाएगा
उन्होंने थर्ड वेव से बचने के लिए लोगों को सुझाव दिया है कि वे सतर्कता बरतें. जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है, वह जल्द लगवा लें और स्वत: लॉकडाउन के नियमों का पालन करें. कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि अब तक कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन किसी नैचुरल इम्युनिटी वाले शख्स को बाईपास नहीं कर सका है. जो लोग पूर्व में संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं, उनमें खुद ही अच्छी प्रतिरोधक क्षमता (नैचुरल इम्युनिटी) विकसित हो चुकी है, उन पर इस वायरस का ज्यादा असर अब तक नहीं दिखाई पड़ा है.


दूसरी लहर की तरह भयावह नहीं होगी थर्ड वेव
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि माना जा रहा है कि कोरोना का नया वैरिएंट वैक्सीन वाली इम्युनिटी को बाईपास करने में कुछ हद तक सक्षम है. वैक्सीनेशन से जनरेट इम्युनिटी को बहुत ज्यादा बाईपास नहीं कर पा रहा है. प्रो. अग्रवाल का कहना है कि भारत में मास वैक्सीनेशन के चलते ओमिक्रॉन वैरिएंट का भारत में ज्यादा असर होने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में जिस तरह के हालात थे और हास्पिटल व ऑक्सीजन बेड की काफी जरूरत पड़ी थी, ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते वैसी जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि कोरोना का यह वैरिएंट दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएंट से हल्का है.


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