श्याम तिवारी/कानपुर: कानपुर में क्राउडफंडिंग के आरोपी मुख्तार बाबा के गुर्गे अब शिकायतकर्ता को धमका रहे हैं. बाबा बिरियानी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले अदीबुल कदर को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. मुख्तार बाबा के गुर्गे उन्हें लगातार धमकियां दे रहे हैं. जिससे परेशान होकर अधिक बल कदर ने पुलिस कमिश्नर और डीएम से सुरक्षा की गुहार लगाई है.


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बाबा मुख्तार के खिलाफ दर्ज कराया है मुकदमा 
बता दें,  अदीबुल कदर जूनियर हाईस्कूल बिनौर के प्रधानाचार्य होने के साथ-साथ ही वह शत्रु संपत्ति संरक्षण संघर्ष समिति के सचिव भी हैं. उन्होंने बाबा बिरयानी हाउस के खिलाफ 14 साल से मोर्चा खोल रखा है. 24 जून को उन्होंने बजरिया थाने में बाबा मुख्तार और उनके परिजनों सहित कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद से मुख्तार बाबा के गुर्गे में आए दिन धमकी दे रहे हैं. जिसकी बाबत उन्होंने पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी से गुहार लगाकर सुरक्षा की मांग की है.


डीएम और कमिश्नर से की शिकायत, अभी तक नहीं मिली सुरक्षा
अदीबुर कदर के वकील सौरभ भदोरिया का कहना है कि डीएम और कमिश्नर से शिकायत करने के बाद भी अदीबुल कदर, मुबीन और जमाल को सुरक्षा नहीं दी जा रही है. शिकायत के बाद पुलिस ने एलआईयू से जांच कराई थी. जिसमें एलआईयू ने इनकी जांच को खतरा बताया. इसके बाद भी प्रशासन उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई है. 


एसआईटी ने क्राउडफंडिंग में नाम आने के बाद किया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि 3 जून को हिंसा में क्राउडफडिंग को लेकर मुख्तार बाबा समेत एक बड़े बिल्डर का नाम सामने आया था. जिसके बाद एसआईटी ने मुख्तार बाबा को नोटिस जारी कर बयान दर्ज करने के लिए बुलाया लेकिन वह नहीं आया. जिसके बाद एसआईटी ने मुख्तार बाबा को गिरफ्तार किया था. पूछताछ के दौरान मुख्तार बाबा से कई अहम सुबूत मिले हैं. फिलहाल एसआईटी की टीम कड़ियां जोड़ने में लगी हुई है. 


इसके अलावा उस पर दुकानें कब्जाने के भी आरोप लगे हैं. स्वरूप नगर के बाबा बिरयानी आउटलेट की मकान मालकिन जीनत के मुताबिक रेस्ट्रोरेंट खोलने के लिए मुख्तार बाबा ने साल 2001 में दो दुकानें किराए पर ली थीं. एग्रीमेंट के दौरान उसने पति को धमकाना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्हें और उनके बेटे को मरवाने की धमकी देकर पूरी मार्केट अपने नाम लिखने का दबाव बनाता रहा. धीरे-धीरे दबंगई के दम पर मेरी छह दुकानों पर कब्जा कर लिया. जीनत ने कहा कि जब हम कब्जा की दुकानों को खाली करने को कहते थे तो मुख्तार खून की नदियां बहाने की धमकी देता था. 


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