IPS Mamta Singh Story: हरियाणा के नूंह जिले में हुई हिंसा के दौरान राज्य की एडीजीपी ममता सिंह की दिलेरी की खूब तारीफ हो रही है. पत्थर और गोलियों के बीच ममता सिंह की अगुवाई में पुलिस टीम ने करीब ढाई हजार लोगों की सुरक्षा की. अलीगढ़ से ताल्लुक रखने वाली ममता सिंह के पिता पेशे से किसान थे और उन्होंने पुलिस सेवा में जाने के लिए परिवार को मनाया और सपना सच कर दिखाया.


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ममता सिंह की कहानी दिलचस्प है, उनका परिवार अलीगढ़ से ताल्लुक रखता है. वह 1996 बैच की हरियाणा कैडर की आईपीएस हैं. लेकिन उन्होंने छत्तीसगढ़ और झारखंड में माओवादी के खिलाफ ऑपरेशन की अगुवाई भी की है. इसके लिए उन्हें सरकार से खूब तारीफ मिली. असाधारण सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रपति मेडल से भी नवाजा गया. बाबा राम रहीम की कथित बेटी हनीप्रीत सिंह से राज उगलवाने में भी ममता सिंह की अहम भूमिका रही.  राजपूत समुदाय की ममता सिंह के पिता अलीगढ़ में एक किसान थे. लेकिन ममता अपने चाचा घमंडी सिंह से प्रेरित थीं, जिनकी मौत एक एनकाउंटर में हुई थी. उनकी बहादुरी के किस्से सुन सुनकर जोश जज्बे से भरीं ममता सिंह ने डॉक्टरी का सपना छोड़कर आईपीएस अफसर बनने की ठान ली. बहुमुखी प्रतिभा की धनी ममता सिंह ने एलएलबी की पढ़ाई भी की. ममता सिंह के पति भी हरियाणा कैडर के आईपीएस हैं और उनसे छह साल सीनियर हैं.


हुड़दंगियों के बवाल के दौरान नलहड़ के शिव मंदिर में सोमवार दोपहर लगभग एक बजे ढाई हजार श्रद्धालु फंस गए. इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे थे. शाम लगभग चार बजे एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) ममता सिंह जब मंदिर पहुंचीं तो लोगों के जान में जान आई. हंगामा कर रहे बवालियों से लोगों को बचाने के लिए पुलिस की एक टीम ने कवर फायरिंग की और दूसरी टीम ने लोगों को मंदिर से सुरक्षित निकालकर गाड़ी में बैठाया. जब लोगों को पुलिस की गाड़ियों में ले जाया जा रहा था तो पुलिस की एक टीम सुरक्षा कवच के रूप में साथ चल रही थी. एडीजीपी ममता सिंह के मुताबिक ढाई हजार लोगों को निकालने में लगभग दो घंटे लगे.


ममता सिंह के मुताबिक सबसे पहले उन्होंने लोगों को सुरक्षित निकालने का भरोसा देकर शांत किया. इस मौके पर ममता सिंह के साथ एडीजीपी साउथ रेंज व आईपीएस रवि किरण व अन्य अधिकारी मौजूद रहे. लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए ममता सिंह की खूब तारीफ हो रही है.  ममता सिंह की गृह मंत्री अनिल विज ने भी तारीफ की है. 


हरियाणा के गृह मंत्री  अनिल विज ने कहा ''उपद्रव के दौरान एक मंदिर में लोगों को बंधक बनाए जाने की सूचना मिली थी. इसके बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) ममता सिंह व अन्य अफसर मौके पर पहुंचे. आईपीएस ममता सिंह दिलेरी के साथ डटी रहीं और लोगों को वहां से मुक्त कराया.  


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मंदिर से बाहर निकली महिलाओं ने भी पुलिस की तारीफ की है. बताया जाता है कि ममता सिंह पहले भी कई मौकों पर अपनी जाबांजी का परिचय दे चुकी हैं. इसके लिए उन्हें 2022 में राष्ट्रपति पदक मिल चुका है. ममता सिंह का कहना है कि ''मैंने तो सिर्फ अपना काम किया है. लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना मेरी और टीम की जिम्मेदारी थी. जिस समय पुलिस फोर्स पहुंची थी, उस समय भी फायरिंग और पत्थरबाजी हो रही थी. सभी लोगों को डेढ़ से दो घंटे में बाहर निकाल लिया गया था. 


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