विनोद कंडपाल/हल्द्वानी: उत्तराखंड के हल्द्वानी में तीन दिन तक चले राष्ट्र कुमाऊनी साहित्य भाषा सम्मेलन का रविवार को समापन हो गया है. इस सम्मेलन में कुमाऊं के जाने-माने साहित्यकारों, रचनाकारों और लेखकों ने हिस्सा लिया. इस दौरान कुमाऊनी भाषा और साहित्य, कुमाऊनी भाषा के संवर्धन को लेकर मंथन किया गया. सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया कि आने वाले समय में कुमाऊनी भाषा कुमाऊनी संस्कृति को बढ़ाने के लिए समय-समय पर इस तरह के आयोजन किए जाएं. आयोजकों ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि इस तरह के आयोजन में कुमाऊं के रहने वाले लोगों ने कम शिरकत की.


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भाषा साहित्य सम्मेलन के आयोजक बहादुर सिंह बिष्ट का कहना है की कुमाऊनी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने और पीजी तक की कक्षाओं में कुमाऊनी भाषा का पाठ्यक्रम लागू करने के लिए हमारे जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना होगा. इस सम्मेलन में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि आने वाले समय में कुमाऊनी भाषा के संवर्धन और पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री और हिंदी रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट से भी बातचीत की जाएगी. 


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राष्ट्र कुमाऊनी भाषा साहित्य सम्मेलन में कुमाऊनी साहित्यकारों रचनाकारों और लेखकों को भी सम्मानित किया गया. गाजियाबाद से आई कुमाऊनी बाल लेखक मंजू बिष्ट को सर्वश्रेष्ठ बाल लेखक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल दौर में नई पीढ़ी को कुछ अलग तरह के लेख पढ़ने की आदत है. यही नहीं कुमाऊनी भाषा के साहित्य और भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने के लिए हमारे राज्य को एकजुट होना पड़ेगा. इससे आने वाले समय में कुमाऊनी भाषा को एक अलग मुकाम हासिल हो सके.