गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की एक प्रेम कहानी इन दिनों देश भर में सूर्खियों में है. लव स्टोरी में प्रेमी तो कुंवारा है लेकिन प्रेमिका दस बच्चों की मां है. बताया जाता है कि 42 साल की उम्र में वह विधवा हो गई.  कुछ समय पहले ही दोनों एक दूसरे के करीब आए. लेकिन सामाजिक मान्यताओं की वजह से शादी में मुश्किल आ रही थी. लेकिन कुछ स्थानीय लोगों ने इनकी शादी में तो मदद की ही पास की स्कूल में नौकरी और घर भी रहने को दिला दिया. सुनने में तो आपको यह किसी फिल्म की कहानी लग रही होगी. लेकिन यह रीयल स्टोरी गोरखपुर के बड़हलगंज की है.


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स्थानीय गुरुकुल पीजी में काम करने वाली सोनी देवी के पति की छह साल पहले मौत हो गई. छह बेटे और चार बेटियों का वह किसी तरह पेट पाल रही थी. इसी बीच देवरिया के बालेंद्र से उसकी मुलाकात हुई. दोनों में बातचीत धीरे-धीरे प्यार में बदल गई. पांच साल दोनों एक दूसरे के साथ रहे. कुछ लोगों को यह बात नागवार गुजरी. ऐसे में पंचायत बुलाई गई. लेकिन पंचायत ने एक दूसरे के प्रति समर्पण देखकर उन्हें शादी के लिए न सिर्फ सहमति दी बल्कि स्थानीय मंदिर में विवाह का आयोजन भी किया. गांव वालों ने शादी में दुल्हे और दुल्हन को खूब उपहार भी दिए. 


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बताया जा रहा है कि पूनम और बालेंद्र की शादी में अहम भूमिका निभाने वाले स्थानीय समाजसेवी जयप्रकाश शाही की पहल पर उन्हें एक स्कूल में नौकरी और रहने के लिए आवास भी मुहैया करा दिया.  खास बात यह है कि पूनम की 23 साल की बेटी और दूसरे बच्चे भी इस शादी से काफी खुश हैं. 


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