आलोक त्रिपाठी/कानपुर देहात: जनवरी में शुरू हो जाएगा माघ मेला. वैसे तो माघ मेले में शाही स्नान के बारे में सभी लोग जानते हैं, प्रयागराज के तट पर मनाया जाने वाला यह माघ मेला साधु संतों के साथ साथ तमाम श्रद्धालुओं के लिए भी किसी महापर्व से कम नहीं है. इस शाही स्नान में लोग त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाते हैं. इसको लेकर सरकार ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं, प्रदूषण को लेकर कानपुर देहात की 18 फैक्ट्रियों पर शिकंजा कसा गया है.


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6 जनवरी से शुरू हो रहे शाही स्नान को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. सरकार भी इस शाही स्नान के लिए अपनी कमर कस चुकी है. अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं कि किसी प्रकार की कोई चूक इस महापर्व में ना हो. वहीं संगम तट पर किसी प्रकार से कोई प्रदूषण न फैले. इसको नजर में रखते हुए प्रदेश सरकार की तरफ से तमाम जिलों के जिलाधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं.


इस निर्देश में साफ-साफ कहा गया है कि प्रत्येक जनपद से निकलकर बहने वाली उन तमाम सहायक नदियों पर नजर बनाए जाए. जिनमें औद्योगिक इकाइयों से जल प्रदूषण फैलता है. कानपुर नगर और कानपुर देहात जिसे औद्योगिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर संचालित हो रही फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित तरल को नदी नालों में न बहाया जाए इस शासनादेश से संबंधित कानपुर देहात में 18 इकाइयों को चिन्हित कर सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं.


कानपुर देहात की औद्योगिक इकाइयां -रनियां स्थित एडीपील, एगमोटेक्स फैब्रिक्स, एमिटेक इंडस्ट्रीज, आनंदेश्वर इंडस्ट्रीज, गनेशा इको स्पियर, हाइड्स इंटर नेशनल लिमिटेड, जामा कॉर्पोरेशन जैनपुर, जामा कॉर्पोरेशन खलीलपुर, लवांगना टेक्सटाइल, प्राची लेदर, प्रीमियम शूटिंग, आरएसए डाइंग, आरडी पेपर, रनियां ब्लीचिंग वर्क, नागेश्वर पेपर, श्रीनाथ टेक्सटाइल, तिरुबाला एक्सपोर्ट तथा एचएल एग्रो उमरन.इन सभी फैक्ट्रियों पर शिकंजा कसा गया है. 


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानपुर देहात के अधिकारी आशुतोष पांडे का कहना है कि शासन की तरफ से जारी शासनादेश में उन सभी अट्ठारह फैक्ट्रियों को चिन्हित किया गया है. जिनसे जल हानिकारक तरल का रिसाव होता है. साथ ही उस हानिकारक तरल को नदी नालों के माध्यम से बहा दिया जाता है. माघ मेले के दौरान इन फैक्ट्रियों पर शिकंजा कस दिया गया है. इनके द्वारा दूषित तरल को डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा और ना ही यह फैक्ट्री के बाहर नदी नालियों में बढ़ाया जाएगा.


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