लखनऊ: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि महापर्व मनाया जाता है. इस साल 1 मार्च को यह पर्व मनाया जाएगा. साल में पड़ने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने और व्रत रखने का विशेष महत्व है. महाशिवरात्रि वाले दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान शिवा माता पार्वती की पूजा करते हैं. पूजा में भगवान शिव को बेलपत्र, धतूर, फूल-फल आदि चीजें चढ़ाई जाती हैं. मान्यता है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं. क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी भी चीजे हैं, जिनको शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता. आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं कि ये कौन सी चीजें हैं और इन्हें शिवलिंग पर क्यों नहीं अर्पित की जाती हैं.


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1. टूटे हुए चावल: भगवान शिव को कभी भी टूटे हुए चावल अर्पित नहीं किए जाते. शास्त्रों के अनुसार, टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए हमेशा सही चावल ही अर्पित करें, जिसे अक्षत कहा जाता है. 


2. सिंदूर: सिंदूर शृंगार के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो सभी देवियों को चढ़ाया जाता है. क्योंकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता. बाबा भोलेनाथ को सिंदूर चढ़ाने के बजाय चंदन का तिलक लगाना शुभ माना जाता है. 


3. नारियल: शिवलिंग पर नारियल भी नहीं अर्पित किया जाता है. दरअसल, शास्त्रों के मुताबिक नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. देवी लक्ष्मी का संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए नारियल कभी भी भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाता है.


4. शंख: भगवान शिव की पूजा में कभी शंख का प्रयोग नहीं किया जाता. मान्या है कि शंखचूड़ नाम का एक असुर भगवान विष्णु का भक्त था, जिसका भगवान शिव ने वध किया था. शंख को शंखचूड़ का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि शिव भगवान की पूजा के दौरान शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.


5. केतकी का फूल: भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूल को अर्पित करना वर्जित है. इसलिए कभी भूलकर भी इस फूल को न चढाएं. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार केतकी फूल ने भगवान ब्रह्मा का एक झूठ में साथ दिया था, जिसके बाद भगवान शिव ने क्रोध में केतकी फूल को श्राप दिया था इसलिए इस फूल को नहीं चढ़ाया जाता है. 


6. तुलसी: हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है, लेकिन इसे शिवलिंग पर अर्पित करना वर्जित है. ऐसे में भूल कर भी भगवान शिव को तुलसी अर्पित ना करें. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र या शमीपत्र चढ़ाएं.   


7. तिल: भगवान शिव को तिल भी नहीं चढ़ाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता.


बम-बम भोले के नारों से सरोकार हुआ हरिद्वार
शिवरात्रि का त्यौहार नजदीक आते ही हरिद्वार में बम बम भोले की गूंज चारों तरफ सुनाई देने लगी है. धर्मनगरी हरिद्वार पूरी तरह शिवमयी हो गयी है. हजारों शिव भक्त जल और कांवड़ लेकर अपने शिवालयों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं. बम-बम भोले के नारों के साथ एक बार फिर धर्मनगरी भक्ति से सराबोर हो उठी है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ समेत आसपास के कई राज्यों से शिवभक्त अपनी आस्था लेकर हरिद्वार पहुंच रहे हैं. 


इतना ही नहीं भगवान भोले की जयकार करते हुए ये शिव भक्त कई किलोमीटर का सफर पैदल तय कर अपने शिवालयों तक पहुंचेंगे. इन भक्तों का भगवान भोले के प्रति भक्ति और आस्था देखते ही बनती है. मनोकामना पूर्ण होने पर कई शिव भक्त तो पिछले कई वर्षों से लगातार हरिद्वार आ रहे हैं. हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी से गंगाजल भरकर महाशिवरात्रि के पर्व पर यह शिव भक्त अपने गंतव्य पहुंचेंगे और अपने-अपने शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे.


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