अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: यूपी के महाराजगंज जिले में भावुक कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां चालान की रकम चुकाने के लिए पिता द्वारा बेचे गए मां के मंगलसूत्र की रकम लेकर एक युवक ARTO दफ्तर पहुंचा था. युवक की पूरी दास्तान सुनने के बाद ARTO आरसी भारती भावुक हो गए. जिसके बाद उन्होंने ना खुद अपनी जेब से पीड़ित का चालान जमा किया, बल्कि उसे हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया. करीब एक घंटे तक एआरटीओ दफ्तर में सामाजिक तानेबाने को मजबूत करने वाला नजारा दिखा. वहीं, एआरटीओ की दरियादिली देखकर लोग उनकी सराहना कर रहे हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्या है पूरा मामला? 
दरअसल, पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के सिंहपुर ताल्ही गांव में विजय कुमार नाम का युवक रहता है. उसके पिता टेंपो चलाते हैं. बीते 8 जून को उनकी गाड़ी का चालान कर दिया गया था. इसके साथ ही गाड़ी को सीज कर पुरंदरपुर थाने में भेज दिया गया था. विजय उस चालान को जमा कराने एआरटीओ कार्यालय पहुंचा. पहले तो संकोच में कुछ देर अपनी बात नहीं कह सका. इस पर एआरटीओ आरसी भारती ने पूछा कि भाई अपनी बात बताओ. इस पर विजय कुमार ने अपनी बात बतानी शुरू किया. उसने बताया कि मां ने मंगलसूत्र बेचकर 13 हजार रुपये दिया है. रकम लेकर एआरटीओ से अनुरोध करने के दौरान विजय फफक पड़ा. उसकी दर्द भरी कहानी सुनने के बाद एआरटीओ ने पहले उसे पानी पिलाया. फिर विस्तार से पूरी बात पूछी. 


ये भी पढ़ें- Vastu Tips: घर के मंदिर से तुरंत हटा दें ये 5 चीजें, वरना छिन जाएगी घर की सुख-शांति


ARTO ने चालान की रकम भरी और टेंपो का इंश्योरेंश भी कराया
विजय ने बताया कि पिता राजकुमार की एक आंख नहीं है. वह टेंपो चलाते हैं. मैं मजदूरी करता हूं. फेल होने के बाद हाई स्कूल की पढ़ाई भी नहीं कर सका. बीते आठ जून को टेंपों का चालान कट गया था. जिसका 24,500 रुपये जुर्माना जमा करना है. इस उम्मीद में यहां आया कि शायद शेष रकम माफ हो जाएगी. परिवार में छह बहने हैं. एक बहन की शादी हुई है. यह पूरी कहनी सुनने के बाद एआरटीओ ने चालान की पूरी रकम खुद जमा करने के साथ ही टेंपो का इंश्योरेंश कराया. इसके बाद कुछ नकद राशि देकर भविष्य में हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया. एआरटीओ की दरियादिली देखकर कार्यालय में मौजूद सभी कर्मी एवं अन्य लोगों ने सराहना की. 


"मां को मंगलसूत्र दो और पिता से कहना खेत ना बेचे"
एआरटीओ आरसी भारती ने पीड़ित विजय से कहा कि जो पैसे लेकर आए हो उसे लेकर जाओ और मंगलसूत्र छुड़ाकर मां को वापस दे देना. पिता से कहना कि वह खेत ना बेंचे. इसके बाद एआरटीओ ने अपने पास से 17000 रुपये युवक को दिया और कहा कि तुम पढ़ाई करो. वहीं, युवक का मोबाइल नंबर लेकर और खुद का नंबर देकर कहा कि जरूरत पड़े तो बताना. जब बहनों की शादी करना तो भी बताना. 


ये भी पढ़ें- निषादराज नाव सब्सिडी योजना: मछुआरों को नई नाव खरीदने पर मिलेगी 40 प्रतिशत सब्सिडी


एआरटीओ ने क्या कहा? 
एआरटीओ ने कहा कि हम सभी को एक-दूसरे की मजबूरी को समझना चाहिए. मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है, जो युवक कार्यालय में आया था उसकी गाड़ी का नियम और कानून के तहत चालान किया गया था. उस समय हमने अपने विभागीय दायित्वों का निर्वहन किया था और नियम-कानून से अपना काम किया था. वहीं, जब उसने बताया कि मां का मंगलसूत्र बेचकर वह चालान जमा करने आया, तब हमने मानवता दिखाते हुए उसकी मदद की. यह हर किसी को करना चाहिए. 


WATCH LIVE TV