Maharajganj: आखिर कैसे हुई बीते 10 महीने में 111 नवजात शिशुओं की मौत, जांच टीम गठित
UP News: महराजगंज में बीते 10 माह के भीतर 111 मासूम काल के गाल में समा गए. एक रिपोर्ट में मातृत्व व शिशु मृत्यु दर के आंकड़े हैरान करने वाले हैं.
महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज में बीते 10 माह के भीतर 111 मासूम काल के गाल में समा गए. एक रिपोर्ट में मातृत्व व शिशु मृत्यु दर के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. सेंट्रल रिव्यु मिशन की टीम द्वारा इसकी जानकारी देने के बाद बच्चों की मौत के रहस्य से पर्दा हटाने के लिए जिलाधिकारी ने सीडीओ, एसडीएम और सीएमएस के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है, जिसे जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, मातृत्व व शिशु मृत्यु रिपोर्ट में बढ़ोतरी के मामले में सुधारने के लिए डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है. आइए बताते हैं पूरा मामला.
10 माह में हुई 111 मासूम बच्चों की मौत
आपको बता दें कि जनपद में अनजान कारणों से 10 माह के भीतर हुई 111 मासूम बच्चों की मौत ने जिला प्रशासन को सख्ते में डाल दिया है. वहीं, इस मामले की गम्भीरता को देखते हुए जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के साथ कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक भी की. इस बैठक में उन्होंने शिशुओं की मौत की समीक्षा करते हुए मामले में मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिह सोगरवाल की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है.
ये टीम शिशुओं की हुई मौत के कारण का पता लगाएगी. इस जांच टीम में सीडीओ के अलावा जिला अस्पताल के सीएमएस और अतिरिक्त एसडीएम सत्यप्रकाश मिश्रा भी हैं. ये टीम मातृत्व व शिशु मृत्यु रिपोर्ट के आकड़ो में आई बढ़ोतरी की जांच करंगे की ये मौतें कैसे हुई.
चाइल्ड डेथ रिव्यू के लिए बनाई गई टीम
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कहा कि सीआरएम की टीम ने जांच करके बताया था कि शिशुओं के मौत के सभी केसेस में चाइल्ड डेथ रिव्यू नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि शिशु व माता के मौत का रिव्यू तो किया जा रहा है, लेकिन जो शिशु की मौत हो रही, उसका रिव्यु नहीं किया जा रहा था. ये काफी गंभीर मुद्दा है.
जिलाधिकारी ने दी जानकारी
जिलाधिकारी सतेंद्र कुमार ने बताया कि सेंट्रल गवर्नमेंट की जो टीम आई थी, उसने शिशुओं की मौत के मुद्दों को हाइलाइट किया था. सेंट्रल की टीम ने यह भी बताया था कि शिशुओं की मौत किन कारणों से हो रही है. माता का स्वास्थ्य कैसा है, साथ ही अन्य बिंदुओं पर भी ग्राउंड लेवल पर इसकी जांच की जाएगी. जांच कर इसकी रिपोर्ट बनेगी. इससे ये पता चलेगा कि शिशुओं की मौत किन कारणों से हो रही है.