अतुल सक्सेना/मैनपुरी: मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. ये पहला मौका नहीं है जब यहां का चुनाव चर्चाओं में रहा है, मैनपुरी का हर लोकसभा चुनाव खुद में इतिहास कायम करता है.इस बार सीधा मुकाबला सपा प्रत्याशी डिंपल यादव और भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य के बीच में है. मैनपुरी का इतिहास रहा है कि यहां कभी कोई महिला प्रत्याशी सांसद नहीं बनी. तो वहीं जातिगत वोटरों के आधार पर शाक्य दूसरे स्थान पर होने के बावजूद भी यहां से शाक्य प्रत्याशी कभी जीत हासिल नहीं कर सका. इस बार चुनाव चुनावी दंगल में जीत डिंपल यादव की हो या रघुराज शाक्य की, मैनपुरी फिर एक इतिहास रचने के करीब है. 


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जब लोकसभा चुनाव में खुद का वोट भी हासिल न कर सका था प्रत्याशी
बात वर्ष 1957 की है. आजादी के बाद मैनपुरी में हुआ दूसरा लोकसभा चुनाव एक इतिहास रच गया, जो शायद ही कहीं देखने को मिलता हो. 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बादशाह गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया था तो वहीं प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से बंशीधर धनगर  चुनाव मैदान में थे. इसके साथ ही  निर्दलीय रूप से मनीराम, पुत्तू सिंह और शंकरलाल चुनाव मैदान में थे. साथ ही बीजेएस से जगदीश सिंह भी मैदान में था.


जीत के लिए बड़ा मुकाबला हुआ और बाजी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बंशीधर धनहर के हाथ लगी और उन्होंने जीत दर्ज कराई.  1957 के लोकसभा चुनाव में सभी ने खासे वोट हासिल किए लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि निर्दलीय प्रत्याशी शंकरलाल को एक भी वोट हासिल नहीं हुआ था. उनके द्वारा डाला गया खुद का वोट भी निरस्त हुआ था और बड़ा रिकॉर्ड कायम हुआ. 


किसे मिले थे कितने वोट
वंशीदास धनगर, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, 59902
बादशाह गुप्ता, कांग्रेस- 56072
जगदीश सिंह, बीजेएस, 46627
मनीराम, निर्दलीय, 17972
पुत्तू सिंह, निर्दलीय, 16177
शंकर लाल, निर्दलीय, 0


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