कन्हैयालाल शर्मा/मथुरा: कहते हैं ना कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं. अपराधी चाहे लाख कोशिश कर ले लेकिन एक न एक दिन वह बेनकाब हो जाता है. इस कहावत को सूरत पुलिस ने चरितार्थ कर दिखाया है. दरअसल, सूरत पुलिस ने 23 साल से हत्या के मामले में फरार चल रहे एक आरोपी को मथुरा के नन्दगांव से गिरफ्तार किया है. पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए अपराधी साधु का भेष धारण करके रह रहा था. उसे मथुरा के एक आश्रम से गिरफ्तार करने के लिए खुद सूरत पुलिस को भी साधु और पुजारी जैसा भेष धारण करना पड़ा. आरोपी का नाम पदम उर्फ राकेश पांडा है.


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दरअसल, इन दिनों सूरत पुलिस द्वारा वांटेड अपराधियों की सूची तैयार कर उन्हें पकड़ने की मुहिम चलाई जा रही है. खासकर उन्हें तलाशा जा रहा है जो लंबे समय से पुलिस की लिस्ट में वांटेड चल रहे हैं. ऐसे वांटेड अपराधी जिन पर पुलिस ने इनाम भी घोषित किए हैं. पुलिस की गिरफ्त में आए पदम उर्फ राकेश पांडा पर भी पुलिस ने 45 हजार का इनाम रखा था.
क्या था पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, पदम उर्फ राकेश पांडा ने साल 2001 में सूरत के रहने वाले विजय साचीदास नामक शख्स की हत्या कर दी थी. वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह उसकी कथित गर्लफ्रेंड के घर आता-जाता था. पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए पदम उर्फ राकेश पांडा मथुरा पहुंच गया था और वहां उसने साधु का भेष धारण कर लिया. फिर मथुरा के नंद गांव में स्थित कुंजकुटी आश्रम में साधु बनकर रहने लगा. उसने अपने बाल और दाढ़ी भी बढ़ा ली ताकि कोई उसे पहचान न सके.
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दो दिन की मशक्कत के बाद गिरफ्तार


सूरत पुलिस की प्रिवेन्टिव ऑफ क्राइम ब्रांच की टीम ह्यूमन सर्वेलान्स तथा अन्य रिसोर्सेज के आधार पर मूलतः ओड़ीसा के गंजाम जिले के रहनेवाले इस हत्यारे को गिरफ्तार करने के लिए मथुरा के कुंजकुटी आश्रम पहुंची. 
ओडिशा का रहने वाला है हत्यारा
सूरत के पुलिस कमिश्नर अजय कुमार तोमर ने बताया कि सूरत शहर एक औद्योगिक शहर है. यहां देश के अन्य राज्यों से लोग रोजगार के लिए आते हैं. जिनमें कुछ अपराधी किस्म के लोग भी शामिल होते हैं. पदम उर्फ राकेश पांडा सूरत में भजिया बनाने का काम करता था. साल 2001 में आरोपी पदम उर्फ राकेश पांडा सूरत शहर के उधना इलाके के शांतिनगर सोसायटी में किराए पर रहता था. उसका अपने पड़ोस में रहने वाली एक महिला से अफेयर था. विजय शांतिदास नाम का शख्स भी अक्सर उस महिला के घर आता-जाता था.


गला दबाकर हत्या


आरोपी पदम उर्फ राकेश पांडा को यह सब पसंद नहीं था. इसलिए उसने 3 सितंबर 2001 के दिन अन्य दोस्तों के साथ मिलकर विजय का अपहरण कर लिया. फिर उसे उधना खाड़ी के किनारे ले जाकर गला दबाकर हत्या कर डाली. इसके बाद शव को नाले में फेंककर सभी आरोपी फरार हो गए थे.


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