अंबिकेश्वर पांडे/गोंडा: मनकापुर आईटीआई एक बार फिर से आर्थिक संकट से बच सकता है और ऐसा इसलिए होगा क्योंकि मनकापुर आईटीआई ने एक ऐसा स्मार्ट मीटर तैयार किया है जो पोस्टपेड और प्रीपेड सिम से चलेगा. इस मीटर का प्रयोग लैब में टेस्टिंग के बाद शुरू हो सकता है. यह मीटर बिल को सही समय पर अदा करने वाले उपभोक्ताओं के लिए सहूलियत है.


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केंद्र सरकार के ऊर्जा बजत मंत्रालय ने मनकापुर आईटीआई को स्मार्ट मीटर बनाने का काम दिया है. जिससे उपभोक्ताओं के घर स्मार्ट मीटर लगाया जा सके. मनकापुर आईटीआई के उप महाप्रबंधक आलोक गुप्ता की देखरेख में यह स्मार्ट एनर्जी मीटर तैयार हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले चरण में 100 स्मार्ट मीटर तैयार किए गए हैं. केरल में सफल परीक्षण के बाद अब स्मार्ट मीटर महाराष्ट्र के स्मार्ट एनर्जी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड और दिल्ली के लैब में टेस्ट के लिए भेजा गया है. 


मनकापुर आईटीआई के उप महाप्रबंधक उत्पादन विनय मिश्रा ने इस मीटर की खूबियां बताते हुए बताया कि यह स्मार्ट एनर्जी मीटर 25 साल तक चलेगा. इस मीटर में प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों तरह का सिम लगाया जा सकता है. मीटर को मोबाइल ऐप से भी जोड़ा जा सकता है. उपभोक्ता को अघोषित बिजली कटौती के संबंध में पहले से जानकारी मिल जाएगी. इसके अलावा पैसा खत्म होने से पहले एसएमएस अलर्ट आएगा. मोबाइल के ऐप के थ्रू मीटर की निगरानी भी की जा सकेगी. 


घर के बाहर जाने के समय मीटर को लॉक करके भी जा सकते हैं. यह मीटर सर्वर से भी जुड़ा रहेगा, अगर कोई छेड़खानी करेगा तो पता चल जाएगा. इस मीटर की लागत निजी कंपनियों के बनाए गए एनर्जी स्मार्ट मीटर से कम होगी. जहां अन्य कंपनियों ने अभी जो स्मार्ट मीटर तैयार किए हैं. उनमें 2जी और 3जी सिम प्रयोग होते हैं जबकि मनकापुर आईटीआई ने जो स्मार्ट मीटर बनाया है उसमें 4G और 5G सिम का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. मीटर में उपयोग के लिए वोडाफोन सिम देगा, आईटीआई एक दिन में करीब ढाई लाख मीटर तैयार कर सकती है.


वर्ष 1984 में मनकापुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत मऊ के पास में टेलीफोन सेट व एक्सचेंज उपकरण के निर्माण के लिए करीब ढाई सौ एकड़ क्षेत्रफल में आईटीआई लिमिटेड की स्थापना हुई थी. आईटीआई में टेलीफोन एक्सचेंज समेत अन्य तकनीकी उपकरणों का निर्माण के समय करीब 3400 कर्मचारी कार्यरत थे. लेकिन कई सालों से बंद होने के बाद अब सिर्फ 300 परिवार ही रहते हैं. बहुत से लोगों को आईटीआई लिमिटेड कंपनी द्वारा निकाला भी जा चुका है. 


वर्ष 2005 में यूपीए सरकार ने आईटीआई को 1100 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया था. इसके तहत फ्रांस की एल्काटेल कंपनी के सहयोग से बीटीएस निर्माण का कार्य शुरू हुआ था. इसके बाद आइटीआइ को कोई नया प्रोजेक्ट नहीं मिला. हालात यह हैं कि टेलीफोन एक्सचेंज, बीटीएस का निर्माण करने वाले कर्मी आज इनवर्टर, नोट गिनने की मशीन बनाने व पुराने उपकरणों की मरम्मत तक ही सिमट गए थे. 


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