जितेन्द्र सोनी/जालौन: महिलाओं को जननी सुरक्षा प्रदान करने वाली जालौन की जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. इस लापरवाही से चलते एक प्रसूता की मौत हो गई. मौत के बाद प्रसूता के परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर जमकर हंगामा काटा और दोषी स्वास्थ्य कर्मियों के ऊपर कार्रवाई की मांग की. वहीं. जाम की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा-बुझाकर जाम खुलवाया. 


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क्या है पूरा मामला? 
पूरा मामला उरई मुख्यालय के जिला महिला अस्पताल का है, जहां पर डिलीवरी के दौरान एक प्रसूता की मौके पर मौत हो गई. प्रसूता की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा काटना शुरू कर दिया और शव को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया. देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और जाम की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, जहां पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर जाम खुलवाया.


वहीं, मृतका के पति का कहना है कि जिला अस्पताल में स्टाफ द्वारा मुझसे रुपए की मांग की गई थी. मैंने रुपए भी दिए लेकिन फिर भी मुझे बदले में मौत मिली. हालांकि, यह पहला मामला नहीं था जब किसी प्रसूता ने अस्पताल में दम तोड़ा हो. एक प्रसूता की मौत के बाद वहां रेफर करने का सिलसिला शुरू हो गया और वहीं, अलग-अलग प्रसूता के परिजनों ने बताया कि अस्पताल में डिलीवरी कराने के नाम पर 5 से 10 हजार रुपये की मांग की जाती है. अगर रूपये न दो तो रेफर कर दिया जाता है, लेकिन रुपए देने के बाद भी जिंदगी की कोई गारंटी नहीं होती है.


क्या कहना है सीएमएस डॉ एनआर वर्मा का? 
वहीं, जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ एनआर वर्मा ने बताया कि महिला का महिला के शरीर हीमोग्लोबिन की कमी थी, जिससे झांसी अस्पताल जाने की सलाह दी गई थी, लेकिन वह जिला अस्पताल में आ गए और सुरक्षित डिलीवरी के बाद महिला की कुछ घंटे बाद हालत गंभीर हुई और उसकी मौत हो गई. 


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