MLC बनने के बाद फ्री बिजली-यात्रा और पेंशन के साथ मिलती हैं ये सुख सुविधाएं, जानिए और क्या मिलते हैं फायदे!
अगर बात करें एमएलसी चुने गए व्यक्ति की तो इनका महीने की सैलरी करीब 40 हजार रुपये होता है. ....इसके अलावा उसे क्षेत्रीय भत्ते के नाम पर 50 हजार रुपये हर महीने सरकार की तरफ से मिलते हैं...... विधान परिषद सदस्य चुने गए व्यक्ति को राज्य के अंदर दैनिक भत्ता 2 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से और राज्य से बाहर के लिए 25 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद चुनाव (legislative council election) बेहद खास माना जाता है. यही कारण है कि एमएलसी (MLC) बनने के लिए होड़ मची रहती है. इसका पीछे कारण, कहीं न कहीं वो सुविधाएं हैं जो उनके एमएलसी बनने के बाद उनको मिलती है. इसके साथ ही एमएलसी का कार्यकाल खत्म होने पर भी ऐसे फायदे हैं जो कि इस तरफ के झुकाव को सही सिद्ध करते हैं.
जब MLC का कार्यकाल खत्म होता है!
एमएलसी कार्यकाल खत्म होने पर पहले साल 25 हजार रुपये पेंशन मिलती है. इसके बाद 5 साल पूरे होने पर 33 हजार रुपये और कार्यकाल खत्म होने के 10 साल बाद 43 हजार रुपये मिलते हैं.
राज्य के बाहर MLC को मिलती हैं ये सुविधाएं
अगर बात करें एमएलसी चुने गए व्यक्ति की तो इनका महीने की सैलरी करीब 40 हजार रुपये होता है. इसके अलावा उसे क्षेत्रीय भत्ते के नाम पर 50 हजार रुपये हर महीने सरकार की तरफ से मिलते हैं. विधान परिषद सदस्य चुने गए व्यक्ति को राज्य के अंदर दैनिक भत्ता दो हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से और राज्य से बाहर के लिए 25 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है.
10 हजार रुपये स्टेशनरी पर खर्च करती है सरकार
चुने गए MLC पर सरकार 10 हजार रुपये हर महीने स्टेशनरी पर खर्च करती है. Travel allowance के नाम पर 20 रुपये प्रति किलोमीटर राज्य के अंदर और 25 रुपये प्रति किलोमीटर राज्य के बाहर का मिलता है।
मिलती है 2000 यूनिट फ्री बिजली
एमएलसी को हर महीने 2000 यूनिट फ्री बिजली मिलती है.
हवाई और रेलवे यात्रा के लिए मिलते हैं कूपन
MLC चुनकर आए व्यक्ति को 3 लाख रुपये (चार सह यात्रियों के साथ) के हवाई जहाज या रेलवे कूपन मिलते हैं. घर के फोन और मोबाइल समेत कुल 1 लाख रुपये मिलते हैं.
अभी तक विधान परिषद सदस्य के लिए प्रत्याशी उन्हें बनाया जाता था, जो चुनाव नहीं लड़ना चाहते हों, लेकिन अपने अनुभवों से सदन में मजबूती के साथ समाज की समस्याओं को रख सके, इसलिए उनको एमएलसी चुनाव में मौका दिया जाता था. बीते दिनों यूपी में विधान परिषद की 13 सीटों पर बीजेपी के 9 और सपा के 4 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए.
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