वेदेन्द्र प्रताप शर्मा/आजमगढ़: आजमगढ़ के मंडलीय जिला अस्पताल में स्थित मार्चरी हाउस में बीते एक सप्ताह से ज्यादा समय से दरवाजा नहीं है. ऐसे में शवों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. आग शव बोल पाते तो ये जरूर कहते कि साहब! मैं मर चुका हुं, मुझे अब तो बचाओ, वरना जानवर नोच डालेंगे. जानकारी के मुताबिक लगभग दस दिन पहले एक शव का पोस्टमार्टम कराने से इंकार किया. उन्होंने तोड़ फोड़ भी की. वहीं, जबरदस्ती शव लेने के लिए कुछ लोगों ने मार्चरी हाउस का दरवाजा तोड़ दिया था. इस घटना को हुए कई लेकिन गुजर गए लेकिन दूसरा दरवाजा तक नहीं लग सका. इससे शवों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है. 


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अभी तक नहीं लग पाया दरवाजा
आपको बता दें कि वहां किसी चौकीदार की तैनाती भी नहीं है. ऐसे में कुत्ते उसे क्षति पहुंचा सकते हैं. जिससे वारिस और लावारिस शवों की पहचान करने में तीमरदारों को काफी पसीना बहाना पड़ रहा है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करवाने की बात तो कह रहे, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक दरवाजा नहीं लग पाया है.


पांच साल पहले शासन के निर्देश पर हुआ था निर्माण
मंडलीय जिला अस्पताल में लभगग पांच साल पहले शासन के निर्देश पर 52 लाख की लागत से आधुनिक पोस्टमार्टम बनाया गया. इसमें शवों का बेहतर रख-रखाव किया जा सकता है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के कागजी दावे और जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मार्चरी हाउस की देखरेख के लिए न तो सफाईकर्मी हैं न चौकीदार. मंडलीय जिला चिकित्सालय में शवों को रखने के लिए दो मर्चरी बनाएं गए हैं, जिसमें एक पुलिस की जो सीएमओं की देखरेख में है. वहीं, दूसरी अस्पातल की मार्चरी, जिसकी देख रेख की जिम्मेदारी सीएमएस ही है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी की नजर मार्चरी की दुर्रव्यवस्था पर नहीं पड़ रही है.


मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दी जानकारी
इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी आजमगढ़ इंद्र नारायण तिवारी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि दस दिन पूर्व शहर में हुए सड़क हादसे में युवक की मौत हो गई. इसके बाद सुबह मार्चरी हाउस पर पहुंचे तीमरदारों ने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर, जबदस्ती शव को लेने जाने के लिए मार्चरी का दरवाजा तोड़ दिया. इस मामले में सीएमओ ने बताया कि घटना को लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक से बात कर जल्दी ही दरवाजा लगवाने की बात कही है. आपको बता दें कि आज तक टूटे मार्चरी हाउस का तरवाजा नहीं बन सका है. उसमें रखे शवों को जानवर घुसकर क्षत-विक्षत कर रहे हैं. 


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